नई दिल्ली: बरेली के 'आई लव मोहम्मद' स्लोगन विवाद में लाठीचार्ज की घटना ने राजनीतिक रंग ले लिया है. समाजवादी पार्टी इसे सदन से सड़क तक उछाल रही है. अखिलेश यादव के कहने पर शनिवार को सपा सांसदों की एक टीम बरेली रवाना हुई, लेकिन दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर के यूपी गेट पर कमिश्नरेट पुलिस ने उन्हें घेर लिया. सांसदों और पुलिस के बीच गरमागर्म बहस हुई, धक्कामुक्की तक हो गई. सपा ने इसे भाजपा का डर बताया.
लगभग डेढ़ घंटे के ड्रामे के बाद दल उसी जगह से मुड़कर राजधानी लौट आया. दोपहर करीब ग्यारह बजे इकरा हसन और हरेंद्र मलिक समेत सपा सांसदों का जत्था दिल्ली से बरेली के लिए चला. जैसे ही वाहन यूपी गेट पर पहुंचे, वहां तैनात फोर्स ने रास्ता रोका. सांसदों ने विरोध जताया, जिससे झड़प तेज हो गई. यूपी गेट पर यह सब ड्रामा डेढ़ घंटे चला, फिर दल निराश होकर सभी को दिल्ली लौटना पड़ा.
मलिक के साथ तो पुलिसकर्मियों की धसाई भी हुई. उन्होंने तुरंत अखिलेश यादव को फोन कर सारी बात बताई. मलिक ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा शासन में पूरे देश-प्रदेश में 'आपातकाल' जैसी स्थिति है. पुलिस ने बिना वजह रोका और लौट जाने को कहा. अगर बरेली में कोई प्रतिबंध या धारा है तो साफ बताएं, वरना विपक्षी नेताओं को सड़क पर घूमने की भी मनाही? उन्होंने दिल्ली-मेरठ हाईवे पर ट्रैफिक जाम का ठीकरा भी पुलिस पर फोड़ा.
पुलिस हटाने की कोशिश में वे आगे बढ़े, लेकिन फोर्स ने कड़ाई से रोका. इकरा हसन ने बताया कि अखिलेश के इशारे पर 15 सांसदों की टीम घटना की हकीकत जांचने और पीड़ितों के दर्द को साझा करने जा रही थी, न कि कोई उपद्रव फैलाने. लेकिन पुलिस ने बिना वजह बाधा डाली. उन्होंने भाजपा सरकार पर एक खास समुदाय को टारगेट करने और पुलिस-प्रशासन को दबाव में झुकाने का इल्जाम लगाया.