अभिषेक चतुर्वेदी
कनाडा में छिपे हिंदुस्तान के दुश्मन और पाकिस्तान में बैठे उनके सपोर्टर बार-बार लॉरेंस बिश्नोई की तस्वीर क्यों देख रहे हैं. क्या लॉरेंस और खालिस्तानियों के बीच कोई बड़ी कहानी होने वाली है, जिससे पूरी दुनिया हिल जाएगी. क्या पुलिस फिल्मों की तरह लॉरेंस की मदद लेने की तैयारी में है या फिर लॉरेंस की कहानी अब खत्म होने वाली है. पर्दे के पीछे ऐसी कौन सी कहानी पक रही है, जो ज्यादातर लोग नहीं समझ पा रहे हैं. क्या सलमान तक पहुंचने के बहाने लॉरेंस अपनी पकड़ दिखा रहा है. क्या लॉरेंस देश के बाहर बैठे दुश्मनों को ये बता रहा है कि हमारा निशाना चूकता नहीं है. सुरक्षा चाहे कितनी भी तगड़ी हो, हमारे गुर्गे वहां घुसने से रुकते नहीं है. लॉरेंस को लेकर दो तरह की थ्योरी बीते 12 महीने में सामने आई.
थ्योरी नंबर 1- जून 2023 में हिंदुस्तान के दुश्मन हरदीप सिंह निज्जर को ऊपर भेजने में लॉरेंस के गुर्गों का हाथ था, कनाडाई अखबार ने इसी साल मई महीने में जैसे ही ये दावा किया हर तरफ सनसनी मच गई, उसने साफ-साफ लिखा लॉरेंस ग्रुप के तीन लड़कों ने इसे अंजाम दिया. कनाडाई सरकार ने इसे लेकर भारत पर आरोप लगाए थे, पर जब सबूत देने की बारी आई पीछे हट गए. सरकारी लेवल पर कभी ऐसी चीजें नहीं होती, तो क्या लॉरेंस खुद जेल में बैठकर ये समझ चुका है कि देश के खिलाफ काम करने से बेहतर है देश के दुश्मनों को ही ठिकाने लगा दो, ताकि राष्ट्र सुरक्षित रहे या फिर जानबूझकर कनाडाई सरकार अपना एजेंडा चला रही है. पहले आरोप लगाकर कुछ नहीं मिला तो अब सीधा एक गैंगस्टर पर आरोप लगा दिया. कहानी इतनी सीधी नहीं है जितनी आप समझ रहे हैं, बल्कि लॉरेंस को लेकर जो दूसरी थ्योरी सामने आई है, उसे सुनकर खुद एनआईए के बड़े-बड़े अधिकारी भी कंफ्यूज हैं.
थ्योरी नंबर 2- लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे कनाडा और अमेरिका के बाद अब पुर्तगाल को नया ठिकाना बना रहे हैं. वहां से बैठकर वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की शह पर खालिस्तानियों की मदद कर रहे हैं. अगर लॉरेंस ऐसा कर रहा है तो फिर जिंदगी की सबसे बड़ी भूल कर रहा है. हालांकि कुछ समय पहले जब एक चैनल पर लॉरेंस का इंटरव्यू आया था, तब भी कई लोगों ने कहा था कि वो देशभक्ति की बातें खुद नहीं कर रहा था, बल्कि किसी बड़े अधिकारी या नेता के कहने पर कर रहा था. तो क्या लॉरेंस सरकारी दामाद बन चुका है, जिसकी जेल के भीतर खातिरदारी होती है, जो जेल से बैठकर इंटरव्यू देता है, बकरीद के मौके पर पाकिस्तानी दोस्त को वीडियो कॉल करता है, जब जो मन करता है, मंगवाकर खाता है, और जेल को ही अपना अड्डा समझ लेता है.
हो सकता है पंजाब के भठिंडा जेल के जेलर की तरह अहमदाबाद के जेलर भी भी कहें कि लॉरेंस का सारा नेटवर्क हमने खत्म कर दिया है. पर समझने वाली बात ये है कि लॉरेंस के गुर्गे फिर अलग-अलग लोगों को फोन कर अब भी रंगदारी कैसे मांग रहे हैं. वो सलमान खान के घर तक कैसे पहुंच जा रहे हैं. क्या कुछ ऐसा चल रहा है, जो जांच में सामने नहीं आ पा रहा पर बरसों बाद कोई किताब लिखेगा तो उसमें सारी तस्वीरें साफ होंगी.
जैसे कुछ दिनों पहले DRI के पूर्व डायरेक्टर जनरल बीवी कुमार की किताब डीआरआई एंड दी डॉन्स में लिखते हैं...जब उसका सामान गुजरात में लल्लू जोगी के फार्म हाउस में उतरने वाला था तब हमने वहां छापा मारा. वह अपना सामान और बिरियानी खाना छोड़कर भाग खड़ा हुआ. लॉरेंस और दाऊद के बीच कोई समानता तो नहीं है, पर लॉरेंस जिस हिसाब की बातें करता है, जेल के भीतर रहकर अपना राज चलाता है, वो साफ इशारा करता है वो सिर्फ कैदी नहीं बल्कि कुछ और भी है.