22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे ये तो आप सब जानते हैं, लेकिन उसके ठीक तीन दिन बाद 25 जनवरी को क्या करेंगे, इसकी जानकारी अब सामने आई है. 26 जनवरी से ठीक एक दिन पहले मोदी एक ऐसा काम करने जा रहे हैं, जिससे सीएम योगी का मेहनत का रिजल्ट दोगुना होने वाला है, अब वो होगा कैसे इसे समझने के लिए आपको बीजेपी पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष सतेन्द्र सिसोदिया का बयान समझना होगा.
'2014 और 2019 चुनाव की तरह 2024 चुनाव का आगाज भी पश्चिमी यूपी से करेंगे. पीएम मोदी की ये रैली काफी ऐतिहासिक होगी, अभी से कार्यकर्ता तैयारियों में जुट गए हैं.'
पश्चिम यूपी में 14 में से 8 सांसद बीजेपी के हैं, जबकि सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, संभल, अमरोहा और मुरादाबाद में बीजेपी को पिछले चुनाव में हार मिली थी, इसलिए इन सीटों पर जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. इनमें से कई सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं, इसीलिए मोदी पहले से पसमांदा मुसलमानों पर फोकस करने के लिए कह रहे हैं, और उसका असर इतना शानदार दिखा है कि 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में यहां की कुल 136 में से 94 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी. और इसकी वजह काफी बड़ी थी. ये वो दौर था जब मोदी ने कृषि कानून वापस लेकर किसानों के दिल में बड़ी जगह बना ली थी
जाट और मुस्लिम बाहुल्य सीटों को साधने के लिए योगी ने खास मेहनत की थी, जिसका असर दिखा.
बुलंदशहर ही क्यों
अब पीएम मोदी 2024 चुनाव में चूंकि 400 पार का टारगेट लेकर चल रहे हैं, इसीलिए अभी से ही उन सीटों पर खास फोकस करना चाहते हैं, जहां पार्टी कमजोर रही है और ये प्लानिंग उसी के मुताबिक है. हालांकि सवाल ये उठता है कि आखिर राम मंदिर उद्घाटन के तुरंत बाद पीएम मोदी बुलंदशहर ही क्यों जा रहे हैं, कहीं और क्यों नहीं, तो कई लोग इसका राम मंदिर से कनेक्शन भी बताते हैं.
गगोल तीर्थ का जिक्र है जरूरी
बुलदंशहर से करीब 74 किलोमीटर दूर मेरठ में एक जगह पड़ती है गगोल तीर्थ, जिसका जिक्र पीएम मोदी अपने भाषण में भी कर सकते हैं. इस तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम जब शिक्षा ग्रहण करने के बाद जनकपुर शादी के लिए जा रहे थे, तो इसी रास्ते से होकर गुजरे थे, ये ऐसी जगह थी, जहां पर पानी का कोई साधन नहीं था, तब प्रभु श्रीराम ने अपने बाण से तालाब बनाया था. आज भी वो तालाब वहां मौजूद है. हालांकि ये जगह मेरठ में है, लेकिन पीएम मोदी चूंकि बुलंदशहर से रैली ही पूरे पश्चिमी यूपी को अलग संदेश देने के लिए कर रहे हैं, तो इन जगहों का जिक्र न करें, ऐसा नहीं हो सकता.
पार्टी कार्यकर्ताओं को करनी होगी खूब मेहनत
हालांकि असल सवाल यही है कि मोदी-योगी के संदेश को क्या बीजेपी कार्यकर्ता हर वोटर्स तक सही तरीके से पहुंचा पाएंगे. क्योंकि कई चुनावों में ऐसा देखने को मिला है कि नेताओं ने ग्राउंड पर मेहनत नहीं की और हार गए. इसलिए पार्टी हाईकमान को इस बात पर भी विशेष ध्यान देना होगा. क्योंकि 400 सीटें जीतने का लक्ष्य उस दौर में रखना जब विपक्ष की कई पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी हैं, आसान नजर नहीं आता.