नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राजनीतिक शैली पर चुटकी ली. उन्होंने दावा किया कि ट्रंप की यह बांटो और राजो वाली सोच मुख्य रूप से उन लोगों पर निर्भर है जो बेरोजगार हो चुके हैं. कोलंबिया स्थित ईआईए विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ संवाद के दौरान राहुल ने वैश्विक स्तर पर उभरते ध्रुवीकरण की ओर इशारा किया.
भारतीय अर्थव्यवस्था की कमियों पर चर्चा करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश ने विकास की गति तो पकड़ी है, लेकिन रोजगार सृजन में हम पीछे रह गए हैं. इसका कारण हमारी सेवा-प्रधान अर्थव्यवस्था है, जिसमें विनिर्माण क्षेत्र की कमी साफ झलकती है. अमेरिका का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि ट्रंप को समर्थन देने वाले ज्यादातर वे लोग हैं, जिन्होंने फैक्टरियों में अपनी नौकरियां खो दीं.
चीन के मॉडल का उल्लेख करते हुए राहुल ने कहा कि चीन ने बिना लोकतांत्रिक व्यवस्था के उत्पादन क्षमता को मजबूत किया है. लेकिन भारत को एक ऐसी लोकतांत्रिक उत्पादन प्रक्रिया गढ़नी होगी, जो चीन के स्तर को चुनौती दे सके. राहुल गांधी ने भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती को 'लोकतंत्र पर लगातार हमले' करार दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की विविधता, विभिन्न धर्म, रीति-रिवाज और बोलियां लोकतंत्र ही इन्हें एकजुट रख सकता है. लेकिन वर्तमान में यह प्रणाली हर ओर से खतरे में है.
भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर सवाल उठने पर उन्होंने जवाब दिया कि 1.4 अरब की जनसंख्या वाली यह धरती अनंत अवसरों से भरी है. हालांकि, चीन की तरह केंद्रीकृत और एकसमान व्यवस्था न होने से यहां की प्रक्रिया कहीं ज्यादा उलझी हुई है. राहुल ने उत्साह जताते हुए कहा कि भारत वैश्विक पटल पर बहुमूल्य योगदान दे सकता है और वे खुद इसकी क्षमता को लेकर काफी आशावादी हैं. फिर भी, उन्होंने सतर्कता बरतते हुए चेताया कि भारतीय ढांचे में मौजूद कमजोरियां और खासकर लोकतंत्र पर साये में पड़ी चुनौतियां हमें पार करनी ही होंगी.