आप भी जब ट्रेन में सीटें फुल हो जाती होंगी, कोटा के जरिए टिकट बुक करने की कोशिश करते होंगे।लेकिन अब रेलवे ने इस प्रक्रिया में सख्ती कर दी है। खास तौर पर गोरखपुर में, जहां कोटा टिकट में गड़बड़ियों के कई मामले सामने आए हैं। आज हम आपको कोटा से जुड़े नए नियम के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। अब टिकट बुक करने से पहले वेरिफिकेशन कॉल आएगा।
क्या हुआ बदलाव?
अब अगर आप HO कोटा से टिकट बुक करवाना चाहते हैं, तो आपको पहले रेलवे की तरफ से एक फोन कॉल आएगा। रेलवे कर्मचारी आपसे पूछेंगे कि किस कारण से कोटे के तहत टिकट चाहिए और पूरी जानकारी लेने के बाद ही टिकट की मंजूरी दी जाएगी। रेलवे को शिकायतें मिली थीं कि कुछ लोग फर्जी सिफारिशी लेटर या पहचान दिखाकर कोटे का गलत फायदा उठा रहे हैं। कुछ मामलों में दलालों के जरिए भी कोटे की टिकट बुक हो रही थीं।
क्या होता है HO कोटा?
HO कोटा यानी हेड क्वार्टर कोटा, एक तरह का इमरजेंसी टिकट सिस्टम है।इसका इस्तेमाल आमतौर पर तब किया जाता है जब किसी को तुरंत और जरूरी सफर करना हो, जैसे किसी सरकारी अधिकारी, सांसद, मंत्री या फिर किसी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में। लेकिन ध्यान रखें - पहले आपको एक वेटिंग टिकट लेना होता है। फिर आप मुख्यालय से अनुमति लेकर कंफर्म सीट के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
कहां लागू हुआ है यह नियम?
फिलहाल यह नया नियम गोरखपुर में लागू किया गया है। यहीं पर कई फर्जी टिकट मामलों की जांच के बाद यह सख्ती की गई है। जल्द ही जरूरत पड़ी तो इसे देश के अन्य रेलवे स्टेशनों पर भी लागू किया जा सकता है। अगर आप कोटे से टिकट बुक करना चाहते हैं, तो फर्जी सिफारिश या झूठी जानकारी न दें। इसके साथ ही रेलवे के फोन कॉल का जवाब ईमानदारी से दें।
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