हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार कुछ ऐसा घटित हुआ, जिसने अमेरिका में भाषण दे रहे पीएम नरेंद्र मोदी को रुलाकर रख दिया. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ये समझ नहीं पा रहे हैं कि बोले तो बोलें क्या. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आर्मी चीफ से रिपोर्ट मांग रहे हैं और गृहमंत्री अमित शाह देश की आंतरिक सुरक्षा पर अधिकारियों को तलब करने वाले हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में सेना की स्पेशल ट्रेन को उड़ाने की साजिश रची गई.
जम्मू-कश्मीर से कर्नाटक जा रही स्पेशल ट्रेन जैसे ही नेपानगर में पहुंची लोको पायलट को कुछ अजीब सा सामान ट्रैक पर दिखा, उसने आनन-फानन में ब्रेक लगाया, कुछ डेटोनेटर फटे, जबकि कुछ वहीं पड़े मिले, जिसके बाद पहला सवाल यही उठा कि क्या पुलवामा पार्ट-2 जैसी साजिश रची जा रही थी, जिस ट्रेन में सेना के जवान सवार थे, उसमें और क्या-क्या हो सकता है.
आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं, मामला सेना से जुड़ा है, इसलिए गोपनीयता बरती जा रही है, लेकिन हम आपको बताते हैं. जांच के बाद कितनी बड़ी कहानी खुली है. पता चला है कि 100-100 मीटर की दूरी पर 10 डेटोनेटर रखे थे, ताकि ट्रेन की एक भी बोगी बच न सके, ये मामला इतना बड़ा था कि तुरंत दिल्ली से एनआईए की टीम जांच के लिए पहुंचती है. मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल टीम जानकारी जुटाने में लग जाती है, लेकिन जानकारी जुटाना इसलिए मुश्किल था, क्योंकि डेटोनटर अक्सर रेलवे के कर्मचारी भी इस्तेमाल करते हैं.
फॉग या कोहरे के समय इसका इस्तेमाल ड्राइवर के सिग्नल के लिए किया जाता है, लेकिन इसमें कुछ ऐसा भरा नहीं होता, जिससे खतरा बढ़े, लेकिन ट्रैक पर जो 10 डेटोनटर मिले हैं, उसमें हर वो सामान भरा होने की बात सामने आई है, जिससे सेना को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता था.
इसीलिए पूरी रात जागकर टीम ने हर संदिग्ध की लिस्ट निकाली, एटीएस से लेकर एनआईए तक के सिंघम ऑफिसर ने अपने-अपने मुखबिरों से सूचना जुटाई और आखिर में साबिर नाम का एक रेलवे कर्मचारी पकड़ा गया, जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इसी ने रेलवे ट्रैक पर ये सब रखवाया था. अब साबिर को माइंडवॉश करके किसी ने ऐसा करने के लिए कहा था या फिर उसका कोई पाकिस्तान कनेक्शन है, इसका खुलासा फिलहाल नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरीके से एक रेलवे कर्मचारी को पकड़े जाने की बात सामने आई है, उससे साफ पता चलता है दुश्मनों ने सिस्टम के अंदर पैठ बनाना शुरू कर दिया है.
अगर ऐसा है तो फिर इसे रोकना होगा. फिलहाल जांच एजेंसियों के सामने सवाल ये भी है कि ये डेटोनेटर क्या रेलवे की ओर से दिए गए थे. अगर हां तो किसकी साइन पर दिए गए, क्या साबिर के अलावा कोई और इसमें शामिल था? क्या देश के अलग-अलग शहरों में कहीं ट्रैक पर सिलेंडर तो कहीं मिठाई का डिब्बा रखे जाने की तस्वीरें दिखी हैं. उससे साबिर का कोई कनेक्शन है, ये तस्वीरें साफ इशारा कर रही हैं कि बड़ी साजिश रची जा रही है, जिसका जवाब अब उन्हीं की भाषा में देना होगा.
लेकिन जब हर साजिश नाकाम हो गई तो दुश्मनों ने सेना को ही सीधा निशाना बना शुरू कर दिया, पर गनीमत रही लोको पायलट ने सबको बाल-बाल बचा लिया. ऐसे लोको पायलट को एक सैल्युट तो बनता है.