लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र में 'विकसित भारत, विकसित यूपी विजन डॉक्यूमेंट 2047' पर चली मैराथन चर्चा के दौरान जनसत्ता दल के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपने बेबाक विचारों से सभी का ध्यान खींचा. उन्होंने आतंकवाद, जातिगत राजनीति, और हिंदू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण जैसे मुद्दों पर तीखे सवाल उठाए, साथ ही देश के भविष्य के लिए शिक्षा और जागरूकता पर जोर दिया.
राजा भैया ने कहा कि 'विजन 2047' की चर्चा देश के भविष्य को आकार देने का एक मौका है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई पार्टी या नेता का एजेंडा नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए एक साझा दृष्टिकोण होना चाहिए. हमें अपनी राय रखनी है, जो सही लगेगी उसे अपनाया जाएगा, वरना नहीं.
आतंकवाद और जातिगत राजनीति पर सवाल
उन्होंने देश के सामने आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि अमरनाथ यात्रा के लिए 80 हजार सैनिकों की जरूरत पड़ती है. क्या बिना सुरक्षा के कोई भक्त वहां जा सकता है? पहलगाम में आतंकियों ने लोगों को निशाना बनाया, लेकिन क्या उन्होंने किसी की जाति पूछी? वहां धर्म के आधार पर लोग मारे गए. राजा भैया ने जातिगत राजनीति पर भी तंज कसा और कहा कि समाज को बांटने वाली ऐसी सोच देश को कमजोर करती है. उन्होंने कहा कि किसी भी चीज का बंटवारा, चाहे वह घर हो या संपत्ति, उसे कमजोर ही करता है. भारत का लोकतंत्र मजबूत है, क्योंकि यहां हिंदू समाज है, जो इसे एकजुट रखता है.
मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण पर तीखा प्रहार
राजा भैया ने हिंदू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. उन्होंने सवाल किया क्या कि आपने कभी सुना कि सरकार मस्जिदों या चर्चों से चढ़ावे का पैसा लेती है? लेकिन देश के 4 लाख से ज्यादा हिंदू मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं, और उनका चढ़ावा सरकार के पास जाता है. यह नियंत्रण हटना चाहिए. उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि जापान जैसे देशों ने अपनी संस्कृति को मजबूत किया, जबकि भारत में हम अपनी आस्तीन में सांप पाल रहे हैं, जो हमें अंदर से कमजोर करते हैं.
शिक्षा और मैकाले की नीति पर चिंता
उन्होंने शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरी चिंता जताई. राजा भैया ने कहा कि मैकाले की शिक्षा नीति ने हममें हीन भावना पैदा की और हमारे गुरुकुल बंद कराए. 2047 तक हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली चाहिए, जो हमारी संस्कृति को बढ़ाए और जनता को जागरूक करे. उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में बदलाव पर भी सवाल उठाए और कहा, "दुनियाभर में कहीं भी संविधान की प्रस्तावना नहीं बदली जाती, लेकिन भारत में इमरजेंसी के दौरान ऐसा हुआ. बाबा साहेब अंबेडकर ने जो नींव रखी, उसे बदलकर उसका असर कम कर दिया गया.
अहिंसा और कुंभ की व्यवस्था
राजा भैया ने अहिंसा के सिद्धांत का जिक्र करते हुए कहा कि हमें सिखाया गया कि 'अहिंसा परमो धर्म:', लेकिन इसकी दूसरी पंक्ति 'धर्म हिंसा तथैव च' को भुला दिया गया." उन्होंने कुंभ मेले की व्यवस्था की तारीफ की और कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में अद्भुत व्यवस्था की. 60 करोड़ सनातनियों ने गंगा में स्नान किया, लेकिन क्या एक भी नारा लगा कि किसी धर्म को खत्म करेंगे? भारत की धर्मनिरपेक्षता हिंदू बहुलता के कारण है.
कृषि और अर्थव्यवस्था पर चिंता
उन्होंने अंग्रेजों के शासनकाल का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की जीडीपी, जो कभी विश्व की 30% थी, अंग्रेजों के जाने तक 1-1.5% रह गई. हम मौन रहे, निष्क्रिय रहे, इसलिए एक लाख अंग्रेज 60 करोड़ भारतीयों पर हुकूमत करते रहे. उन्होंने चेतावनी दी कि कृषि भूमि का घटना चिंता का विषय है और इसे 'विजन 2047' में प्राथमिकता देनी चाहिए.