भोपाल: मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में पुलिस ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष और सदस्यों, महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और वन स्टॉप सेंटर के कर्मचारियों सहित 10 लोगों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है. यह कार्रवाई तब हुई जब पता चला कि सीडब्ल्यूसी ने एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता को उसी परिवार के पास वापस भेज दिया, जिसके एक युवक पर पहले से ही उसका यौन शोषण करने का आरोप था, जहां उसका दोबारा बलात्कार हुआ.
जांचकर्ताओं के अनुसार, आरोपी युवक पहले 17 वर्षीय लड़की को दिल्ली ले गया था, जहां उसे गुरुग्राम में पकड़ा गया और पन्ना कोतवाली में मामला दर्ज होने के बाद जेल भेज दिया गया. चूंकि पन्ना में बाल सुधार गृह नहीं है, इसलिए मामला बाद में छतरपुर पुलिस को स्थानांतरित कर दिया गया. इस दौरान, सीडब्ल्यूसी ने कथित तौर पर पीड़िता को आरोपी के परिवार को सौंपने का फैसला किया, जिसे पुलिस ने उसे और खतरे में डालने वाला कदम बताया.
एसपी श्री कृष्ण थोटा ने कहा कि कमेटी और अधिकारियों के "गलत फैसले" के बाद कार्रवाई की गई, जिन्होंने बच्ची को खतरे में डाला. उन्होंने कहा, "उन्हें लड़की को उस परिवार के पास नहीं भेजना चाहिए था, जो उसका शोषण करने वाले व्यक्ति से सीधे जुड़ा था. "जांच के आधार पर, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष भानु प्रताप जडिया और सदस्य अंजलि भदौरिया, आशीष बोस, सुदिप श्रीवास्तव और प्रमोद कुमार सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 17 के तहत अपराध में सहायता के लिए मामला दर्ज किया गया.
वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक कविता पांडे, काउंसलर प्रियंका सिंह और केस वर्कर शिवानी शर्मा के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत अपराध की सूचना न देने के लिए मामला दर्ज किया गया. जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अवधेश सिंह पर पॉक्सो एक्ट, एससी-एसटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत कानून के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया गया.
इसके अलावा, अंजलि कुशवाहा पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 82 के तहत बच्चों को शारीरिक दंड देने के लिए मामला दर्ज किया गया. पुलिस ने कहा कि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सहित वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है, और आगे की कार्रवाई की जाएगी.