पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में धांधली, पोस्ट ऑफिस में ऐसे हो रही है स्टांप पेपर की हेरा-फेरी...

Amanat Ansari 12 Apr 2025 04:41: PM 2 Mins
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में धांधली, पोस्ट ऑफिस में ऐसे हो रही है स्टांप पेपर की हेरा-फेरी...

नई दिल्ली: भारत में हर कोई कभी ना कभी रेवेन्यू स्टांप (Revenue Stamp) का इस्तेमाल करते हैं. कभी इसका प्रयोग कानूनी और आधिकारिक दस्तावेजों में वैधता प्रदान करने के लिए किया जाता है, तो कभी मूल्य लेनदेन या समझौते के लिए. साथ ही विवाह समझौता और वसीयत के लिए भी इन रेवेन्यू स्टांप का इस्तेमाल आम है. यही कारण है कि इसमें धांधली की भी खबरें सामने आती है. वैसे यह अधिकृत स्टांप विक्रेताओं, बैंकों और डाकघरों या कोर्ट परिसरों से खरीदे जाते हैं, लेकिन आजकल ये प्राइवेट स्टांप बिक्रेता के पास भी मिलते हैं और यहीं शुरू होता है धांधली.

लोग जब नजदीकी पोस्ट ऑफिस पर संपर्क करते हैं, तो उन्हें रेवेन्यू स्टांप उपलब्ध नहीं है, रिक्वेस्ट भेज दिया गया है, अभी तक आया नहीं है, जैसे विभिन्न प्रकार के बहाने बनाकर इतना मजबूर कर दिया जाता है कि वे प्राइवेट विक्रेताओं से रेवेन्यू स्टांप खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं. जहां 1 रुपए का रेवेन्यू स्टांप 5 रुपए या उससे भी अधिक रुपए चुका कर खरीदने पड़ते हैं. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से आया है. यहां वसुन्धरा सेक्टर 17 में एक पोस्ट ऑफिस है, जहां आनंद पाल पोस्टमैन के रूप में कार्यरत है. इनका कहना है कि 25 दिनों से इनके पास रेवेन्यू स्टांप नहीं है, रिक्वेस्ट डालने के बाद भी ऊपर से आता नहीं है. लेकिन जब Global Bharat TV टीम इनसे जानकारी मांगती है तो, कैमरे पर बोलना नहीं चाहते हैं.

इनका ही एक साथी जो रेवेन्यू स्टांप बेचने वाले काउंटर पर बैठे थे, जब उनसे जानकारी मांगी गई तो वह भी बात करने से कतराते नजर आए. उनसे पूछा गया कि ये मामला गंभीर है, इस पर रिपोर्ट बननी चाहिए और जिम्मेदारों तक भेजना चाहिए तो उन्होंने कहा कि जो करना है करिए, जहां रिपोर्ट पहुंचाना है, पहुंचा दीजिए. सवाल है कि जिस राजस्व स्टाम्प की उपलब्धता डाकघर में है वह निजी स्टाम्प विक्रेता के पास सैकड़ों की संख्या में कैसे उपलब्ध है?

ग्राहक को जो 1 रुपए में मिलना चाहिए वो मजबूरन 4-5 रुपए में क्यों मिल रहा है? और प्राइवेट स्टाम्प विक्रेता को इतना स्टाम्प कौन उपलब्ध करवा रहा है? क्या पोस्ट ऑफिस और स्थानीय स्टाम्प विक्रेता की कोई मिली भगत होती है, क्योंकि यही 4-5 रुपए का घपला, करोड़ों के घोटाले में बदल जाता है. हाल ही में मेरठ में अफसरों की नांक के नीचे करोड़ों का स्टांप घोटाला हो गया था. इस मामले की गूंज लखनऊ तक भी पहुंच गई थी, फिर भी कभी गाजियाबाद तो कभी अन्य शहरों में रेवेन्यू स्टांप बिक्री में धांधली देखी जा रही है. क्या आपके क्षेत्र में भी इस तरह का खेल चल रहा है? अगर हां तो जरूर कमेंट कर बताएं और रिपोर्ट करें...

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