मेरठ: समाजवादी पार्टी (सपा) ने आगामी उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में अपने उम्मीदवार न उतारने का बड़ा ऐलान किया है. शनिवार को मेरठ के पार्टी कार्यालय में सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने यह घोषणा की. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नीतियों को लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ बताया. पाल ने कहा कि दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक समाज सपा के साथ मजबूती से खड़ा है.
श्याम लाल पाल ने बीजेपी पर देश में समानता और भाईचारे की भावना को नष्ट करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बीजेपी नफरत और झूठ की राजनीति कर रही है और वोट चोरी के जरिए सत्ता में बनी हुई है. पाल ने दावा किया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में जनता बीजेपी को करारा जवाब देगी. पाल ने बीजेपी सरकार पर प्राथमिक स्कूल बंद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसका मकसद दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को शिक्षा से वंचित रखना है. उन्होंने वादा किया कि अगर सपा की सरकार बनी, तो 20 गुना ज्यादा स्कूल खोले जाएंगे ताकि हर वर्ग को शिक्षा मिल सके.
कार्यक्रम के दौरान सपा में आंतरिक मतभेद भी सामने आए. प्रदेश सचिव शशि पिंटू राणा ने स्थानीय नेताओं पर कार्यक्रम की जानकारी न देने का आरोप लगाया. मंच पर कई वरिष्ठ नेताओं को जगह न मिलने से कुछ अव्यवस्था भी देखी गई. हालांकि, जिला अध्यक्ष विपिन चौधरी ने दावा किया कि कार्यक्रम पूरी तरह व्यवस्थित रहा और प्रदेश अध्यक्ष का काशी टोल प्लाजा पर भव्य स्वागत किया गया.
कार्यक्रम में सपा के तीनों विधायकों के न आने पर सवाल उठे. श्याम लाल पाल ने सफाई दी कि जन्माष्टमी के कारण शायद वे नहीं आ सके. उन्होंने पार्टी में किसी भी तरह की गुटबाजी से इंकार किया. कार्यक्रम में पूर्व विधायक प्रभु दयाल वाल्मीकि, निरंजन सिंह, सुभाष यादव, योगेंद्र जाटव और धनीराम गौतम मौजूद थे. सपा ने 'आओ गले मिलें' अभियान के जरिए समाज में भाईचारा बढ़ाने की अपील की.