प्रयागराज से भिवानी की ओर जा रही कालिंदी एक्सप्रेस के लोको पायलट को ट्रैक पर कुछ अजीब दिखता है. ब्रेक मारने की कोशिश करता है, लेकिन फिर भी ट्रेन नहीं रुकती और एक सिलेंडर से टकरा जाती है. रातों-रात आरपीएफ के कई बड़े ऑफिसर मौके पर पहुंचते हैं. सुबह होते-होते एसटीएफ की टीम मौके पर पहुंचती है, उसके बाद उसे कुछ ऐसा मिलता है कि मौके पर एटीएस कमांडोज और फोरेसिंक एक्सपर्ट को बुलाना पड़ता है और उसके बाद जो खुलासा होता है, वो इतना बड़ा है कि कानपुर से लेकर दिल्ली तक सब हिल जाते हैं. वहां से कई ऐसी चीजें बरामद होती हैं, जो बताता है देश के दुश्मनों की प्लानिंग बहुत बड़ी थी.
पहली तस्वीर: सिलेंडर और उसके कवर की है. आरपीएफ की टीम रात के अंधेरे में टॉर्च जलाकर सिलेंडर देखने की कोशिश कर रही है. वहीं पास में इंडेन सिलेंडर का कवर भी पड़ा मिलता है, जिससे पता चलता है नया सिलेंडर खरीदकर लाया गया और वहीं उसकी सील तोड़ी गई.
दूसरी तस्वीर: बोतल और सफेद सामान की है. सूत्रों का दावा है कांच की बोतल के अलावा सफेद थैले में कुछ ऐसा रखा है जिसकी मदद से ट्रैक को बड़ा नुकसान पहुंचाने की प्लानिंग थी.
तीसरी तस्वीर एटीएस आईजी की है, जो खुद मौके पर जाकर एक-एक चीज को बड़ी ही बारीकी से देखते हैं.
उसके बाद मीडिया को ये भी बताते हैं कि इस मामले की जांच किस-किस एंगल से की जा रही है, क्या-क्या तथ्य अब तक जांच में मिले हैं. एटीएस की टीम 9 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. कानपुर के डीसीपी वेस्ट का कहना है कि बिल्हौर में जमातियों का बड़ा डेरा रहता है, इसलिए उनकी गतिविधियों को भी जांच की जा रही है. दरअसल कानपुर से सटे बिल्हौर के मकनपुर में हजरत बदीउद्दीन जिंदा शाह की मजार है. ये घटना भी बिल्हौर और बर्राजपुर स्टेशन के बीच हुई है इसलिए पुलिस को कुछ जमातियों पर शक है.
फिलहाल जांच में ये बात सामने निकलकर आई है कि छिबरामऊ से मिठाई का डिब्बा खरीदा गया था, अब पुलिस उस दुकानदार से लेकर तमाम लोगों से पूछताछ में लगी है. उस दुकानदार का कहना है कि हमारी डीवीआर पुलिस ले गई है. पर इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल जो हर किसी के बेचैन कर रहा है, वो ये है कि क्या अब तक ट्रेन को डिरेल घटने की जितनी घटनाएं हुई हैं, उसमें पूरा ग्रुप काम कर रहा था, क्या इसकी प्लानिंग विदेश में बैठा कोई आका रच रहा था, क्या जिन लोगों ने इसे अंजाम दिया है, उनके आका पाकिस्तान में बैठे हैं.
NIA की एंट्री की चर्चा क्यों
बीते 17 अगस्त को कानपुर-झांसी रूट पर साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे डिरेल हुए थे, इसकी जांच फिलहाल एनआईए कर रही है. कानपुर देहात में 8 साल पहले हुए एक रेल हादसे में करीब 150 लोगों की मौत हुई थी. यहां तक कि साल 2017 में औरेया के पास कैफियत एक्सप्रेस के डिब्बे डिरेल होने से 70 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इन सारे मामले को जोड़कर एनआईए विस्तृत जांच कर सकती है. विदेशी कनेक्शन मिलने पर वैसे भी एनआईए की एंट्री हो जाती है.
कुछ दिनों पहले ऐसी ख़बरें सामने आई थी कि ट्रेनों पर पत्थर फेंकने वालों का ग्रुप एक बड़े मिशन पर है. पर इस तरीके की वारदात को अंजाम देने की साजिश कोई रच रहा है, इसकी आशंका शायद खुफिया एजेंसियों को भी नहीं थी, जो एक बड़ा फेल्योर माना जा रहा है.