जिस उत्तर प्रदेश से कभी गुंडों और माफियाओं के कारनामों की ख़बरें आया करती थीं. लूट-पाट की ख़बरें आती थीं. गुंडागर्दी की ख़बरें आती थी उस उत्तर प्रदेश से अब माफियाओं के मिमियाने की ख़बरें आती हैं. योगी सरकार के सामने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने और रहम की गुहार लगाने की खबरें आती हैं. क्योंकि योगी ने जबसे सत्ता संभाली है उनका एक ही मकसद रहा है और वो है माफियाओं की हेकड़ी निकालना. उसी कड़ी में अब बाबा के बुल्डोज़र की नज़र BSP के पूर्व MLC हाजी इकबाल की करोड़ों की सम्पत्ति पर है.
दरअसल उत्तर प्रदेश के कुख्यात खनन माफिया और बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी मोहम्मद इकबाल पर प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की. उसी के बाद से दावा किया जा रहा है कि अब जल्द ही बाबा का बुलडोज़र 121 एकड़ में फैली यूनिवर्सिटी पर भी चलेगा. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब हाज़ी इकबाल का नाम सुर्ख़ियो में आया हो. क्योंकि दुबई में छिपे बैठे हाजी इक़बाल का विवादों से पुराना नाता रहा है.
यूपी में साल 2007 से लेकर 2012 के बीच मायावती शासन में इकबाल का सिक्का चलता था. उसके दरबार में बड़े से बड़े मंत्री और विधायक भी नतमस्तक रहते थे. लोगों में खौफ पैदा कर मिर्जापुर इलाके में उसने 121 एकड़ में ग्लोकल यूनिवर्सिटी खड़ी कर दी. जैसी कीमत लगभग 4400 करोड़ बताई जा रही है. इस युनिवेर्सिटी को बनाने के लिए उसने बरसाती नदियों तक पर कब्जा जमाया था.
उसके काले कारनामों को जानते हुए भी कोई सरकार इसके खिलाफ एक्शन नहीं लेती थी. लेकिन जब से यूपी में योगी की सरकार आई है हाजी इक़बाल छिपता घूम रहा है. इस देश से उस देश भाग रहा है. शेखों के साथ इसकी तस्वीरें भी खूब सामने आती हैं. इसलिए दावा किया जाता है कि वो अरब देशों में छिपा बैठा है. अब इसके काले कारनामों को भी जान लेते हैं.
बसपा सरकार में इन्होंने खूब आतंक मचाया और अपनी सम्पत्ति को बढ़ाया. बसपा सरकार में इकबाल ने कौड़ियों के दाम में चीनी मिल खरीद लीं. 2010 से लेकर 2011 के बीच करीब 11 चीनी मिलों की बेहद कम कीमतों पर बिक्री की गई थी. राज्य और केंद्र सरकार को एक हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था. सहारनपुर में भी वह कई चीनी मिलें चला रहा था. इससे भी उसने अरबों की कमाई की.
लेकिन साल 2017 में योगी सरकार आते ही उसके बुरे दिन शुरू हो गए. पुलिस ने इकबाल समेत उसके छोटे भाई महमूद अली, चारों बेटों और रिश्तेदारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया. चलिए अब आपको बताते हैं कि हाजी के खिलाफ कब कब ईडी ने एक्शन लिया है. तो इसकी शुरुआत हुई जब सीएम योगी ने केंद्र सरकार हाजी के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. सीबीआई ने केस दर्ज किया और बाद में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया.
2021- ED ने चीनी मिल घोटाले में भी हाजी इकबाल पर एक्शन लिया था. उस दौरान भी करीब 1 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की गई थी. नम्रता मार्केटिंग प्रा. लिमिटेड के अलावा गिरीशो कंपनी इकबाल के नियंत्रण में थीं. उसने विभिन्न शेल कंपनियों के जरिए चीनी मिलों का अधिग्रहण किया था.
2022 - सहारनपुर पुलिस ने इकबाल की करीब 107 करोड़ की संपत्ति को गैंगस्टर एक्ट में कुर्क किया था. इनकी अनुमानित कीमत 36 करोड़ 40 लाख 13 हजार 137 थी. इसके बाद
2022 - पुलिस ने हाजी इकबाल समेत उसके 6 साथियों पर मिर्जापुर थाने में गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा लिखा गया था. हाजी इकबाल पर सहारनपुर के कई थानों में मुकदमे दर्ज हैं. बेटे अब्दुल वाहिद, जावेद पर 12 मुकदमे थे. तीसरे नंबर के बेटे अफजाल पर 3 जबकि चौथे नंबर के बेटे आलीशान पर 7 मुकदमे दर्ज किए गए थे.
2023- हाजी इकबाल की 11 करोड़ की कोठी पर जब्त की गई थी. सहारनपुर में उसके कई घरों को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया था.
2024- उसकी करोड़ों की यूनिवर्सिटी भी जब्त की गई है. ईडी के अनुसार इकबाल ने अवैध खनन की काली कमाई से विश्वविद्यालय का निर्माण कराया. पूर्व एमएलसी फरार है. उसके दुबई में छिपे होने की आशंका है, जबकि उसके 4 बेटे और भाई सलाखों के पीछे हैं.
ईडी की जांच में सामने आया कि सभी खनन फर्मों का स्वामित्व और संचालन मोहम्मद इकबाल के पास था. इकबाल और उसके करीबियों की कंपनियां सहारनपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में अवैध खनन करती थी. इन कंपनियों के साथ इकबाल ने करोड़ों रुपए का लेनदेन किया था, जबकि इनसे उसका कारोबारी संबंध नहीं था. इकबाल ने इस कमाई की जानकारी आयकर विभाग से छुपाई थी.
इसके बाद इकबाल ने इस सारी अवैध कमाई को अब्दुल वहीद एजुकेशनल ट्रस्ट के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी थी. वहीं ज्यादातर राशि कर्ज और दान के तौर पर दी गई थी. बाद में इकबाल ने इसी पैसे से यूनिवर्सिटी के लिए जमीन खरीदी और बिल्डिंग बनाई. ईडी की जांच के अनुसार इकबाल ने ट्रस्ट के खातों में 500 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे. साल 2017 में योगी के सत्ता संभालते ही यूपी के सबसे बड़े खनन माफिया पर ऐसा शिकंजा कसा कि उसके घर के अधिकांश सदस्य छिपते घूम रहे हैं. वहीं इकबाल के भाई और चार बेटे यूपी की अलग-अलग जेलों में बंद हैं.
अब दावा है कि जल्द ही इकबाल की युनिवेर्सिटी पर बुलडोज़र चल सकता है. लेकिन इस कार्रवाई से उन छात्रों का भविष्य संकट में है जो यहां पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि ग्लोकल विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था सरकार अपने हाथ में लेगी या फिर यहां विद्यार्थियों को किसी दूसरी यूनिवर्सिटी में शिफ्ट किया जाएगा ? क्योंकि मां शाकंभरी विश्वविद्यालय अभी नया शुरू हुआ है. ऐसे में वहां पर इतने विद्यार्थियों को अटैच करना संभव नहीं है. इसलिए अब देखना होगा कि युनिवेर्सिटी को लेकर योगी सरकार क्या फैसला लेती है?