राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लोग एक तरफ भयंकर गर्मी से परेशान हैं, दूसरी तरफ पानी की किल्लत ने हाल बेहाल कर दिया है और यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी कई बार सुनवाई हो चुकी है, लेकिन जलसंकट की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.
लोगों को पीने का पानी ना मिलने की वजह से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली के कई इलाकों में लोगों को पानी नहीं मिल रहा है. हालांकि लोगों तक टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है. इस बीच टैंकर से पानी भरने में भी लोगों को कई परेशानियां हो रही हैं.
केजरीवाल सरकार का कहना है कि दिल्ली में अभी 50 मिलियन गैलन पानी की कमी है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और जल संकट पर घंटों सुनवाई हुई. इसी बीच सियासत भी गरमा गई है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कहना है कि जल संकट के लिए दिल्ली जिम्मेदार है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि जल्द से जल्द दिल्ली के लोग आम आदमी पार्टी सरकार को हटा दें. वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में जल संकट को लेकर हरियाणा सरकार और टैंकर माफिया को जिम्मेदार बताया है. साथ ही इस मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार का भी नाम आया है.
बता दें कि दिल्ली अपनी 90 प्रतिशत से ज्यादा पेयजल आपूर्ति के लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश पर निर्भर है. इस आपूर्ति का लगभग 40 प्रतिशत यमुना नदी जैसे सोर्स से आता है. लेकिन इन दिनों जल संकट का कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा है कि वो अपनी समस्या लेकर अपर यमुना रिवर बोर्ड (UYRB) के पास जाएं और मानवीय आधार पर पानी की मांग करें. इसी बीच हिमाचल प्रदेश ने सरकार ने कहा है कि हम अपनी जरूरत को पूरा कर दिल्ली को पानी दे देंगे.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि हमारे पास अतिरिक्त पानी है और हम अपनी जरूरत के हिसाब से पानी रखकर दिल्ली सरकार को देंगे. वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार की इस बयान से लग रहा है कि दिल्ली में पानी की किल्लत थोड़ी कम हो सकेगी.