नई दिल्ली: बाइक सवार एक पति-पत्नी धौलाकुआं से हरि नगर अपने घर जा रहे होते हैं, तभी पीछे से एक महिला तेज रफ्तार BMW चलाती हुई आती है और इनके बाइक में टक्कर मार देती है. अनियंत्रित होकर बाइक एक बस से टकराती है, और दोनों पति-पत्नी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं, किसी तरह वहां मौजूद लोग इन्हें अस्पताल पहुंचाते हैं, लेकिन पास में ही देश का सबसे बड़ा अस्पताल AIIMS और सफदरजंग हॉस्पिटल है, उसके अलावा कई प्राइवेट अस्पताल भी थे, लेकिन वहां की बजाय इन्हें वहां से 22 किलोमीटर दूर जीटीबी नगर के एक छोटे से अस्पताल में ले जाया जाता है.
जहां ये पहुंच पाते उससे पहले इधर पुलिस पहुंच जाती है, क्योंकि ये इलाका दिल्ली के व्यस्ततम इलाकों में से एक है इसलिए जाम लगते ही पुलिस की फोन की घंटी बजने लगती है, मौके पर पुलिस पहुंचती है तो देखती है एक BMW कार उल्टी है, और कुछ दूरी पर बाइक पड़ी है. पूछताछ में पता चलता है मामला हाईप्रोफाइल है, बाइक सवार व्यक्ति का नाम नवजोत सिंह है, जो वित्त मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर तैनात थे, तुरंत अधिकारियों तक ख़बर पहुंचती है, उधर रास्ते में ही नवजोत सिंह दम तोड़ देते हैं, जबकि उनकी पत्नी की हालत गंभीर बताई जा रही है. नवजोत के बेटे बताते हैं मुझे अब तक समझ नहीं आया इतनी दूर पापा को लेकर ये लोग क्यों गए.
मीडिया रिपोर्ट दावा करती है जिस अस्पताल में ये लोग गए थे, वो उस महिला के परिचित का है, यानि सबूत मिटाने और मामले को दबाने की साजिश भी हो सकती है. इसलिए पुलिस ने अगले ही दिन FIR में ये धाराएं भी जोड़ीं और आरोपी महिला को अस्पताल से ही हिरासत में ले लिया. सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि दोनों पति-पत्नी ने हेलमेट लगा रखा था, फिर इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ, क्या जानबूझकर आरोपियों ने इन्हें दूसरे अस्पताल में नहीं जाने दिया, नवजोत की रिश्तेदार जो बताती हैं वो बात और हैरान करने वाली हैं, वो कहती हैं ये बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट समेत कई देशों के लिए भी काम कर रहे थे.
ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या ये हादसा ही है या कहानी कुछ और भी हो सकती है. जिस इलाके में हादसा हुआ है, वहां तेज रफ्तार गाड़ियों का चलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हादसे के तुरंत बाद इलाज न मिलना कई सवालों को जन्म दे रहा है. गांवों में आज भी अगर हादसे से कोई जान जाती है तो अक्सर लोग हॉस्पिटल की मांग उठाने लगते हैं, और लोग कहते भी हैं कि आसपास बड़ा अस्पताल होता तो जान बच जाती, लेकिन दिल्ली जैसे शहर में जहां अस्पतालों की कोई कमी नहीं है, प्राइवेट से लेकर सरकारी तक बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हैं, वहां इतनी बड़ी गलती कैसे हुई.
ये सवाल नवजोत की बूढ़ी मां भी पूछ रही हैं, वो कहती हैं, ''मेरा हीरे जैसा बेटा चला गया, उस महिला को सख्त सजा मिलनी चाहिए, वो तो कभी बाइक से बाहर नहीं निकलता था, लेकिन पहली बार बोला बाइक से ही गुरुद्वारा चला जाता हूं. पर लौट नहीं पाया.''
आखिर इस तेज रफ्तार BMW की वजह से हुए हादसे का जिम्मेदार कौन है, कभी दिल्ली तो कभी मुंबई तो कभी बेंगलुरू तो कभी लखनऊ, जगह-जगह से तेज रफ्तार कार के कहर की आती ख़बरें क्या ये इशारा दे रही हैं कि आपके पास बेशक करोड़ों की कार हो, पर आपको तय स्पीड में ही चलना चाहिए, ऐसे हादसों के बाद कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम अपने लोगों को समझाइए, खुद को समझाइए स्लो चलें, सेफ चलें.