नई दिल्ली: 28 जुलाई 2025 को छांगुर ऊर्फ जलालुद्दीन को ईडी ने लखनऊ की कोर्ट में पेश किया, जहां ईडी के वकील ने ऐसी दलील दी कि छांगुर की कोई चालबाजी काम नहीं आया, वो ईडी की रिमांड से बचना चाहता था, उसने एटीएस की रिमांड में जितनी बातें कहीं थी, उससे आगे कोई नई कहानी नहीं खोलना चाहता था, लेकिन ईडी के वकील ने जैसे ही कहा जज साहब छांगुर से अभी बहुत कुछ पूछना बाकी है, जज साहब ने 5 दिन की रिमांड दे दी, पर समझने वाली बात ये है कि आखिर वो बहुत कुछ सवाल क्या हैं, जिसका पता ईडी लगाना चाहती थी, छांगुर तो चोरी और सीनाजोरी वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है. इंडिया टीवी पूछताछ के आधार पर लिखता है, ''एटीएस ने जब उससे पूछा बेटे की गिरफ्तारी के बाद तुम विदेश भागने की फिराक में थे? छांगुर ने कहा- ये मेरा मुल्क है, मैं यहीं रहूंगा, मैं विदेश भागने की फिराक में बिल्कुल नहीं था''.
तो सवाल उठता है वो अपने ही देश को चूना क्यों लग रहा था, अपने ही देश के खिलाफ साजिशें क्यों रच रहा था और अपने देश के लोगों के साथ ऐसी गलत हरकत क्यों कर रहा था, अब ईडी उससे जिन 5 सवालों के जवाब जानना चाहेगी, वो कुछ इस तरह हो सकते हैं.
सवाल नंबर 1- नीतू ऊर्फ नसरीन तुम्हारे संपर्क में कैसे आई ? तुमने उसे कौन सी अंगूठी दी, बीमारी वाली कहानी कितनी सच है?
सवाल नंबर 2- विदेश से तुम्हारी मदद कौन-कौन करता था, किन देशविरोधी ताकतों से तुम्हारा संपर्क था, और पैसा किन लोगों ने भेजे?
सवाल नंबर 3- इंडो-नेपाल बॉर्डर पर कितने मदरसे हैं, और इनकी फंडिंग क्या बाहर से आती है, उससे तुम्हारा क्या नाता है?
सवाल नंबर 4- गल्फ कंट्री में तुम्हारे कितने लोग हैं, और वो जो पैसे आते थे, उसे लेकर तुम्हारी प्लानिंग क्या-क्या थी?
सवाल नंबर 5- हवाला कारोबार से तुम्हारा क्या लेना-देना है, अब तक 100 करोड़ की कहानी खुली है, और कितने करोड़ की जानकारी तुमने छिपाई है?
सवाल नंबर 6- हमें जो लाल डायरी मिली है, उसमें कुछ नेताओं और अधिकारियों के नाम हैं, वो कौन-कौन लोग हैं, जिन्हें तुमने पैसे दिए और उन्होंने तुम्हारी क्या मदद की?
सवाल नंबर 7- तुमने एक टास्क फोर्स बनाई थी, 10 लाख, 15 लाख रुपये लड़कों को देने की बात सामने आई है, इसकी पूरी चेन क्या है?
अगर छांगुर ने इन सवालों के सही जवाब दे दिए, ये बता दिया कि उसकी अंगूठी बेचने वाली जिंदगी में पैसों का रंग किसने भरा तो कई लोग बेनकाब हो सकते हैं, और जांच एजेंसी इसी खुलासे में लगी है. अब तक की जानकारी ये कहती है कि एक नेताजी को उसने 90 लाख की फंडिंग की थी, और अतीक के चुनाव प्रचार में उसके शामिल होने की ख़बरें भी आई हैं, यहां तक कि मुख्तार से भी उसका नाता होने की बात खुलकर आई है, लेकिन और कौन लोग हैं जो उसकी मदद कर रहे थे और वो अपना काला साम्राज्य आगे बढ़ा रहा था, ये जानना बेहद जरूरी है. क्योंकि एटीएस की पूछताछ में ये पता चला है कि इसकी प्लानिंग गजवा-ए-हिंद बनाने की थी, इसलिए राष्ट्र की सुरक्षा के लिहाज से छांगुर के एक-एक शब्द बेहद मायने रखते हैं, और उसने जब कहा विदेश भागने की फिराक में नहीं था, लंबे वक्त तक लखनऊ के होटल में रुका रहा, एक इंस्पेक्टर को भी छांगुर को बचाने के चक्कर में सस्पेंड किया गया है, एक पूर्व आईपीएस का नाम भी चर्चा में है तो फिर सवाल उठता है सिस्टम में छांगुर के कितने मददगार बैठे हैं और वो कब बेनकाब होंगे.