जिस लॉरेंस पर हैं 65 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज, वो खुद को क्यों बताता है देशभक्त

Global Bharat 19 Apr 2024 2 Mins
जिस लॉरेंस पर हैं 65 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज, वो खुद को क्यों बताता है देशभक्त

31 साल का लॉरेन्स जो देश ही नहीं दुनिया भर में अपना खौफ बैठाना चाहता है वो खुद को मसीहा कहता है. छोटी सी उम्र में ही जिसने अपराध की दुनिया में अपने कदम जमा लिए वो कहता है कि उसे गैंगस्टर न कहा जाए. जो कानून को कुछ नहीं समझता है. जिसका नेटवर्क ऐसा है कि जेल में रहकर भी अपने गैंग को चलाता है वो कहता है कि वो राष्ट्रवादी है. एक इशारे पर जिसके गुर्गे किसी का भी राम नाम सत्य करवा देते हैं वो कहता है मैं रामभक्त हूं. जिसके नाम से भी लोग डर जाते हैं वो कहता है कि उसे गैंगस्टर या आतंकवादी न बुलाया जाए. इसके पीछे जो उसका दावा है उसे सुनकर कई बार पुलिस के बड़े-बड़े ऑफिसर भी हैरत में पड़ जाते हैं. लॉरेंस को जब भी पूछताछ के लिए बंद कमरे में बिठाया जाता है वो कहता है
"मैं शहीदों का बहुत सम्मान करता हूं. जेल के अंदर मैं भगत सिंह की फोटो वाली टीशर्ट पहनकर रहता हूं, लेकिन पेशी पर जाने के दौरान पुलिस वाले मुझे इसे नहीं पहनने देते, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है."
लेकिन क्या लॉरेंस का ये दावा सच है या फिर ये उसकी कोई चाल है? तो इसे समझने के लिए जब हमने जानकारियां जुटानी शुरू की तो हमें लॉरेंस की लिखी हुई एक चिट्ठी मिली. जो उसने सितंबर 2023 में  गुजरात की साबरमती जेल से अहमदाबाद कोर्ट को लिखी थी. उसने अपनी अर्जी में लिखा था 
'मैं एक देशभक्त हूं. अपने देश भारत के लिए जी रहा हूँ. मैं एक समाजसेवी हूँ. मेरे नाम के आगे आंतकवादी और गैंगस्टर न लगाया जाए. अपने अतीत और भविष्य को देखने के लिए मेरी अपनी धारणाएं और अवधारणाएं हैं, लेकिन अगर कोई मुझे ऐसा कहकर संबोधित करता है तो मैं कड़ी आपत्ति जताता हूं. मैं अपनी मातृभूमि से प्यार करता हूं और अगर मुझे ‘न्याय’ मिलता है तो मैं अपने देश भारत के लिए जीऊंगा और मरूंगा.
वंदे मातरम, जय हिंद, जयश्रीराम'
पर सवाल है कि क्या किसी को इसलिए माफिया नहीं कहा जा सकता क्योंकि वो जय हिंद का नारा लगाता है, क्या जयश्रीराम का नारा लगाने वाला किसी की जान का दुश्मन बनता है तो उसकी छवि एक भक्ति वाली बनी रह सकती है, पुलिस को यही किस्सा वो बार-बार सुनाकर गुमराह करने की कोशिश करता है, यहां तक कि जब पुलिस उसकी जाल में नहीं आती, तब वो एक और गेम चलता है, जिसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे. जेल में उसके पास मोबाइल तो नहीं है, लेकिन वो कहता है कि
"सोशल मीडिया पर मेरी फैन फॉलोइंग देख लो, एक नहीं बल्कि कई आईडी है, जिसके नाम भी भगत सिंह के नाम से जुड़े हैं. जिसके हजारों मेंबर है. जिस गाड़ी के पीछे भगत सिंह का फोटो लगा है समझ लीजिए वो मेरा आदमी है. "
मतलब उसने स्वतंत्रता सेनानियों के नाम को भी नहीं छोड़ा है. लॉरेंस खुद को भगत सिंह का अनुयायी बताकर अपने गलत मंसूबों को पूरा कर रहा है. भगत सिंह के नाम को आगे कर के देश के एक तबके को अपने साथ जोड़ना चाहता है उनके दिल में अपने लिए सम्मान लाना चाहता है. अपने समर्थक बढ़ाना चाहता है. यानी कहा जा सकता है कि भगत सिंह और शहीदों के लिए लॉरेंस का सम्मान वो मायाजाल है, जिसमें वो बरसों से भोले-भाले लोगों को फंसाने की कोशिश कर रहा है,, पर आप इस जाल से दूर रहें, इसलिए हमने लॉरेंस के लंका की मायाजाल वाली स्टोरी आपको सुनाई. पुलिस भी यही अपील करती है कि आप इन लोगों से दूर रहें और हमारी भी यही अपील है कि हीरो टाइप फोटो देखकर और कहानियां सुनकर इनके झांसे में न आएं.