ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में हर साल निर्जला एकादशी का व्रत किया जात है. ये व्रत ख़ास कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए होता है. ऐसा कहा जाता है कि ये एकादशी बाकी सभी एकादशी के फल एक बार दे देती है. हालांकि इस साल कुछ लोग निर्जला एकादशी व्रत 17 जून को भी रख रहे हैं तो कुछ लोग 18 जून को. लेकिन सही मायनों में ये व्रत 18 जून किया जायेगा.
निर्जला एकादशी के व्रत और पूजा का फल आपको तभी प्राप्त होगा जब आप इसे पूरे विधि-विधान के साथ ये व्रत करेंगे. यूं तो हर पूजा में कुछ न कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती है लेकिन इस एकादशी को सबसे अहम माना गया है इसलिए इस व्रत में ख़ास कर कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है. अगर आप जाने-अनजाने में इस दिन कोई गलती करते हैं तो उस व्रत का फल आपको नहीं मिल पायेगा. तो आइये जानते हैं कि इस निर्जला एकादशी में आपको किन कामों को करने से बचना चाहिए.
1- निर्जला एकादशी का व्रत एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक रखा जा सकता है. इसलिए निर्जला एकादशी में भोजन के साथी साथ जल का भी त्याग किया जाता है. ध्यान रहे कि जब आप व्रत खोले तभी आप जल ग्रहण कर सकते हैं.
2- व्रत के दिन ध्यान रहे कि पड़े-पौधे की पत्तियों और टहनियों को न तोड़े. ऐसे में पूजा में इस्तेमाल होने वाले चीजें जैसे दातून, लकड़ी या फिर तुलसी के पत्ते आदि एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लें.
3- ऐसा माना जाता है कि एकादशी व्रत पर ब्रह्मचर्य दिनचर्या का पालन करना चाहिए.. साथ ही मन में भी किसी तरह के काम, क्रोध या ईर्ष्या की भावना न लाए.
4- एकादशी तिथि पर दान का बहुत महत्व है. इसलिए आप व्रत के दौरान किसी गरीब को दान दे सकते हैं लेकिन भूलकर भी खुद किसी से अन्न का दान नहीं ले सकते. लेकिन अगर किसी से भोजन या प्रसाद लेना पड़ता है तो उसकी कीमत भी जरूर अदा कर दें..
5- एकादशी के दिन मांस-मंदिरा के साथ ही लहसुन, प्याज, चावल, बैंगन जैसी चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए..
6- एकादशी का व्रत रखने वालों को इस दिन काले रंग के कपडे नहीं पहनने चाहिए. इस एकादशी पर आप पीले रंग के कपड़े पहन सकते हैं... इसके अलावा आप लाल, हरे आदि रंग के कपड़े भी पहन सकते हैं.