ना धर्म की बंदिश है, ना सीमाओं की बेड़ियां... असली दिल नीरज और नदीम की माओं ने जीता

Global Bharat 09 Aug 2024 06:07: PM 2 Mins
ना धर्म की बंदिश है, ना सीमाओं की बेड़ियां...  असली दिल नीरज और नदीम की माओं ने जीता

पेरिस ओलंपिक 2024 में जैवेलिन थ्रो के फाइनल मुकाबले ने न केवल खेल जगत में इतिहास रचा गया, बल्कि एक नए दोस्ताना रिश्ते को भी उजागर किया. दरअसल पेरिस ओलिंपिक 2024 के भाला फेंक मुकाबले में भारत के नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम ने पहला और दूसरा स्थान हासिल किया. हालांकि नीरज ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन पेरिस में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा. अरशद नदीम ने 92.97 मीटर की दूरी पर जैवेलिन फेंककर ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया और पाकिस्तान के लिए पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता.

यह मुकाबला केवल खेल के मैदान पर ही नहीं, बल्कि दिलों में भी लड़ा गया. नीरज और अरशद के बीच की दोस्ती और सम्मान ने इस प्रतिस्पर्धा को एक खास मायने दिए. जब अरशद और नीरज ने पेरिस में नंबर 1 और 2 पर फिनिश किया, तो सोशल मीडिया पर उनकी दोस्ती की कहानियां भी खूब वायरल हो गईं. इस दौरान नीरज की मां सरोज ने कहा, "अरशद भी मेरे बेटे जैसा है." इस बात ने सभी के दिलों को छू लिया. पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर शोएब अख्तर को नीरज की माता द्वारा दिए गए इस बयान के दीवाने हो गए. 

अब, अरशद की मां ने भी इसी भावना को व्यक्त किया. उन्होंने नीरज के प्रति अपने प्यार और स्नेह को जताते हुए कहा, "वह भी मेरे बेटे जैसा है. वह नदीम का दोस्त और उसका भाई भी है. खेल में जीत और हार तो होती रहती है, लेकिन मेरा आशीर्वाद हमेशा उनके साथ है. मैंने नीरज के लिए भी प्रार्थना की है."

अरशद की मां ने अपने बेटे के साथ नीरज को भी अपने बेटे जैसा ही माना. उन्होंने कहा, "मैं पूरे पाकिस्तान का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने नदीम का समर्थन किया और मेरे बेटे के लिए प्रार्थना की." उनकी यह बात सिर्फ खेल के मैदान तक सीमित नहीं रही, बल्कि भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच एकता और सद्भाव की मिसाल भी बन गई.

इस पूरे प्रकरण ने खेल जगत को यह सिखाया कि प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ दोस्ती और भाईचारा भी उतना ही महत्वपूर्ण है. नीरज और अरशद की यह दोस्ती दोनों देशों के लोगों के बीच की दूरी को कम करने का प्रतीक बन सकती है. पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम की सफलता ने केवल उनके देशों को गर्व से भर दिया, बल्कि उनके बीच की यह दोस्ती एक मिसाल भी बन गई. यह साबित करता है कि खेल केवल जीत और हार का नाम नहीं है, बल्कि यह मानवता, भाईचारे और आपसी सम्मान का भी प्रतीक है. 

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