कौन हैं शिवानी पवार, जिसे मिला होता मौका तो भारत को मिल सकता था गोल्ड मेडल !

Global Bharat 10 Aug 2024 06:14: PM 2 Mins
कौन हैं शिवानी पवार, जिसे मिला होता मौका तो भारत को मिल सकता था गोल्ड मेडल !

पेरिस ओलंपिक 2024 में विनेश फोगाट ने इतिहास रचा. वो ओलंपिक खेलों में 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल इवेंट के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी, लेकिन फाइनल से ठीक पहले उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. जहां एक तरफ विनेश फोगाट से हर किसी को गोल्ड की उम्मीद थी वो एक पल में ही टूट गया. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में हुए क्वालिफाईंग राउंड में उनकी प्रतिद्वंदी के साथ भी ऐसा ही हुआ था. वह योग्य थीं लेकिन उनकी जगह तरजीह विनेश फोगाट को दी गई. लोग कह रहे हैं अगर इस महिला पहलवान को मौका दिया जाता तो निश्चित ही वो भारत की झोली में मेडल लाती. इस महिला पहलवान की कहानी भी विनेश फोगाट की तरह ही काफी इंस्पिरेशनल है. आइए आपको बताते हैं कहानी शिवानी पवार की जो ओलंपिक जा सकती थीं, लेकिन उन्हें ये मौका ही नहीं मिल पाया।

भारतीय कुश्ती के इतिहास में शिवानी पवार का नाम एक उभरती हुई प्रतिभा के रूप में सामने आता है. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के उमरेठ गांव की रहने वाली शिवानी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है. लेकिन उनके जीवन का सबसे बड़ा सपना, ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना, अधूरा रह गया. शिवानी पवार का नाम पहली बार सुर्खियों में तब आया जब उन्होंने बिश्केक, किर्गिज़स्तान में आयोजित एशियाई महिला कुश्ती चैंपियनशिप में 50 किलोग्राम वर्ग में ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया. इस चैंपियनशिप में उन्होंने तीन बार की वर्ल्ड चैंपियनशिप पदक विजेता को मात दी थी. यह उपलब्धि अपने आप में यह दर्शाती है कि शिवानी पवार में कितनी क्षमता और प्रतिभा है.शिवानी पिछले तीन सालों से ओलंपिक की तैयारी कर रही थीं. उनकी मेहनत और समर्पण इस बात का प्रमाण हैं कि वे ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिला सकती थीं. लेकिन दुर्भाग्यवश, शिवानी को ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला. बल्कि उनकी जगह विनेश फोगाट को मौका दिया गया जो 50 किलोग्राम वर्ग में खेलती ही नहीं थी. हालांकि विनेश का ओलंपिक सफर वजन संबंधित समस्या के कारण बिना मुकाबला किए ही खत्म हो गया, लेकिन शिवानी को यह सुनहरा मौका नहीं मिला. 

शिवानी का कहना है कि अगर चयन प्रक्रिया नियमों के अनुसार ट्रायल्स के माध्यम से होती, तो शायद भारत को कुश्ती में गोल्ड मेडल प्राप्त हो सकता था. उनका यह बयान इस बात को दर्शाता है कि वे अपने खेल को लेकर कितनी गंभीर और आत्मविश्वासी हैं. लेकिन इसके बावजूद, शिवानी ने इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार के विवाद में पड़ने से इंकार किया है. वे कहती हैं कि उनका लक्ष्य केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करना है और वे अपने प्रदर्शन से देश को गर्वित करना चाहती हैं.

शिवानी पवार का जन्म 11 दिसंबर 1998 को एक सामान्य परिवार में हुआ, उनका जीवन संघर्ष और समर्पण की कहानी है. एक छोटे से गांव से निकलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कौशल का प्रदर्शन करना आसान नहीं होता. शिवानी ने कड़ी मेहनत और परिवार के सहयोग से इस मुकाम को हासिल किया है. उनका यह संघर्ष न केवल उनके खेल जीवन का हिस्सा है, बल्कि यह एक प्रेरणा है उन सभी युवाओं के लिए जो खेल के माध्यम से देश का नाम रोशन करना चाहते हैं. शिवानी का यह भी कहना है कि उन्हें विनेश फोगाट के अयोग्य ठहराए जाने पर दुख है, लेकिन वे इस बात पर जोर देती हैं कि चयन प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए ताकि आने वाले वक्त में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो.

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