26 सितंबर को हिंदू संगठन के कई लोग कापुर स्थित एक रेस्टोरेंट के बाहर हंगामा करते हैं, वो कहते हैं साहब कानपुर के किदवई नगर और बारादेवी क्रॉसिंग के बीच एक रेस्टोरेंट चलता है, जिसमें गलत काम होता है. अंदर छापा पड़ता है तो न लड़कियां मिलती हैं और ना ही बीफ जैसा कुछ सामान मिलता है. पुलिस का भी दिमाग चकरा जाता है कि आखिर हंगामा किस बात पर है, रेस्टोरेंट का मालिक पुलिस के सामने कहता है मेरी कोई गलती नहीं है. ये लोग ऐसे ही हंगामा कर रहे हैं, लेकिन 10 दिन बाद जब 6 अक्टूबर को योगी सरकार की IRGS पोर्टल पर विकास और अशोक त्रिपाठी नाम के लोग शिकायत दायर करते हैं, तो कानपुर के डीएम हलचल में आ जाते हैं, तुरंत नगर निगम तक शिकायत पहुंचाई जाती है.
नगर निगम के अधिकारी उस रेस्टोरेंट के बारे में जानकारी जुटाते हैं, और तब वहां का एक पूर्व कर्मचारी छोटू जो बताता है, उसे सुनकर हर कोई हिल जाता है, वो कहता है...रेस्टोरेंट का नाम भले ही मामा-भांजा है, लेकिन इसका मालिक कोई हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम है. मालिक का नाम मुबीन अहमद है, जो माथे पर तिलक लगाकर रहता है. रेस्टोरेंट में लोगों को वेज की बजाय नॉनवेज खाना भी परोसा जाता है.
ये सुनते ही नगर निगम के अधिकारी रेस्टोरेंट मालिक को नोटिस देते हैं, उसके घर बुलडोजर लेकर पहुंचते हैं, और रेस्टोरेंट का अवैध निर्माण कुछ ही मिनटों में मिट्टी में मिला देते हैं. दुकान मालिक मुबीन अहमद के साथ अब क्या होगा, उसका अंदाजा आप सीएम योगी के इस बयान से लगा सकते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था खाने में मिलावट वाले बख्शे नहीं जाएंगे. ऐसे में एक सवाल ये भी है कि इतनी सख्ती के बावजूद भी कुछ लोग ऐसा करने की हिम्मत कहां से जुटा रहे हैं.
नगर निगम जोनल अधिकारी-3 चंद्र प्रकाश एक मीडिया चैनल से बातचीत में बताते हैं...जांच के बाद रेस्टोरेंट के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई की गई. प्रशासन की इस कार्रवाई के दौरान पुलिस बल तैनात रहा. प्रशासन ने 'मामा-भांजे' रेस्टोरेंट पर बुलडोजर चलाकर उसे ध्वस्त कर दिया. रेस्टोरेंट पहले से ही बंद था. रेस्टोरेंट संचालक मुबीन अहमद ने दुकान के बाहर काफी अवैध कब्जा किया था. इसी को लेकर रेस्टोरेंट पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की गई है.
हालांकि कुछ लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के रोक के बाद भी बुलडोजर कैसे चल गया, क्या योगी सरकार की पुलिस सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है, ऐसे में हमने भी ये समझने की कोशिश की तो पता चला कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ही बुलडोजर चलाने और न चलाने दोनों का आदेश छिपा था. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने कहा था...बुलडोजर एक्शन पर रोक में अवैध अतिक्रमण शामिल नहीं होगा. सड़क हो, रेल लाइन हो, मंदिर हो या फिर दरगाह, अवैध अतिक्रमण हटाया ही जाएगा. हमारे लिए जनता की सुरक्षा ही प्राथमिकता है.
बड़ी बात ये थी कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने साफ कहा था. बुलडोजर एक्शन के दौरान आरोप लग रहे हैं कि समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। जबकि ये सच नहीं है. अब बुलडोजर को लेकर सुप्रीम कोर्ट कब नई गाइडलाइन तैयार करता है, और उसमें क्या-क्या शामिल होगा, इस पर सबकी निगाहें हैं, लेकिन उससे पहले योगी की पुलिस बेधड़क बुलडोजर दौड़ा रही है, रोक के बावजूद उन घरों पर एक्शन जारी है, जहां अवैध निर्माण होने की बात सामन आई है, यहां तक कि बहराइच केस के आरोपी अब्दुल हमीद के घर पर भी नगर निगम की टीम ने नोटिस चस्पा कर दिया है, और वहां भी अगले कुछ दिनों में बुलडोजर एक्शन हो सकता है, ऐसी चर्चा तेज हो चली है.