नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) ऋषिकांत शुक्ला, जो जेल में बंद कानपुर के वकील अखिलेश दुबे के कथित करीबी सहयोगी हैं, को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा भ्रष्टाचार के माध्यम से लगभग 100 करोड़ रुपए की संपत्ति जुटाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. अधिकारियों के अनुसार, 12 स्थानों पर फैली ये संपत्तियां, जिनकी कीमत लगभग 92 करोड़ रुपए है, तीसरे पक्ष के नाम पर बेनामी संपत्तियां मानी जा रही हैं.
एसआईटी को शुक्ला से जुड़ी कुछ अन्य संपत्तियों के दस्तावेज अभी बरामद करने बाकी हैं. प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि शुक्ला ने 1998 से 2009 तक कानपुर में दस साल की पोस्टिंग के दौरान असंगत रूप से धन संचय किया. इन खुलासों के बाद उनके खिलाफ पूर्ण रूप से सतर्कता जांच का आदेश दिया गया है.
जांचकर्ताओं ने बताया कि शुक्ला का पैन कार्ड कई संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में इस्तेमाल हुआ, जिनकी कीमत उनकी ज्ञात आय स्रोतों से कहीं अधिक थी. जांच में यह भी पाया गया कि उन्होंने अपनी आधिकारिक स्थिति और परिवार के सदस्यों व सहयोगियों के नेटवर्क का उपयोग कर संपत्तियों के स्वामित्व को छिपाया.
ट्रेस की गई संपत्तियों में कानपुर के पॉश आर्यनगर इलाके में 11 दुकानें शामिल हैं. शुक्ला, जो 1998 से सब-इंस्पेक्टर (दरोगा) से लेकर सर्किल ऑफिसर तक विभिन्न पदों पर रहे, निलंबन के समय मैनपुरी जिले के भोगांव में सर्किल ऑफिसर के रूप में तैनात थे.“मामला पुलिस महानिदेशक मुख्यालय को आगे की विभागीय कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है.
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) अशुतोष कुमार ने पुष्टि की. उन्होंने बताया कि निलंबित अधिकारी के खिलाफ औपचारिक सतर्कता जांच शुरू कर दी गई है. अधिकारियों ने कहा कि यह निलंबन तत्कालीन कानपुर पुलिस आयुक्त अखिल कुमार द्वारा राज्य सरकार को सौंपी विस्तृत रिपोर्ट के बाद हुआ है, जिसमें शुक्ला की दुबे द्वारा संचालित उगाही और भूमि हड़पने के रैकेट में कथित संलिप्तता को उजागर किया गया था.
वर्तमान में जेल में बंद वकील से गैंगस्टर बने अखिलेश दुबे पर फर्जी मुकदमे दायर करने, उगाही और अवैध संपत्ति सौदों का नेटवर्क चलाने का आरोप है. उसी मामले में दुबे के करीबी बताए जाने वाले एक अन्य पुलिस इंस्पेक्टर को पहले गिरफ्तार किया जा चुका है.गृह विभाग ने अब सतर्कता प्रतिष्ठान को व्यापक जांच करने का निर्देश दिया है.
सोमवार को जारी पत्र में गृह सचिव जगदीश ने प्रधान सचिव (सतर्कता) को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए मामले को राज्य डीजीपी मुख्यालय को आगे की कार्यवाही के लिए भेज दिया है.