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नई दिल्ली: यूपी का जिला झांसी, महाकुंभ को लेकर भीड़ बढ़ी थी, हर थाने की पुलिस सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने में लगी थी, तभी दिल्ली से सीबीआई और ईडी की टीम प्रेमनगर थाना इलाके में पहुंचती है. रात में ही दारोगाजी को ख़बर लगती है अधिकारी छापा मारने आए हैं, वो तत्काल गाड़ी लेकर दोनों आरोपियों के ठिकाने पर पहुंचते हैं. गेट खुलवाया जाता है, अधिकारी अंदर जाते ही ये आदेश देते हैं कोई अंदर-बाहर नहीं करेगा, जो भी फोन हैं, सब जमा करो. मकान के एक-एक कमरे की बड़ी तसल्ली से तलाशी होती है, जो तस्वीर आप देख रहे हैं, उस आलीशान मकान के भीतर करोड़ों होने का शक था, लेकिन अधिकारी उससे भी ज्यादा बड़ी एक और चीज खंगालने गए थे, जिसकी भनक न दारोगाजी को थी, न वहां खड़े पुलिसकर्मियों को.
जांच में पता चलता है कि प्रेमनगर थाना क्षेत्र के गाड़िया फाटक के रहने वाले दिनेश और धर्मेंन्द्र ने 25 साल पहले ईजी बिज 2000 डॉट कॉम नाम की कंपनी बनाई थी, लेकिन इसमें घाटा हुआ तो 10 साल पहले कंपनी बंद कर दुबई भाग गए, वहां 4 साल तक नेटवर्किंग कंपनी में काम किया, वहीं से करोड़ों छापे. दिनेश ने प्रेमनगर के पुरवलिया टोला में जहां आलीशान मकान बनवाया तो वहीं धर्मेंद्र ने झांसी की पॉश कॉलोनी में मकान बनाया. लेकिन जब कुंडली खुली तो पता चला पूरी कहानी बिटक्वाइन, ऑनलाइन सट्टा, और फ्रॉड से जुड़ा है. बीते दिनों दिल्ली में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ था, अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक 24 फरवरी को ईडी ने कई शहरों में एक साथ छापा मारा, एक अखबार की रिपोर्ट के आधार पर जब जांच शुरू हुई तो पता चला.
चिराग तोमर नाम का भारतीय नागरिक जो अमेरिका की जेल में बंद है, उसने क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वेबसाइट क्वाइनबेस की नकल करने वाली फर्जी वेबसाइट बनाई. जब लोग गूगल पर क्वाइनबेस सर्च करते तो चिराग तोमर की वेबसाइट सामने आते, जब यूजर लॉग इन करते तो वो आईडी, पासवर्ड गलत बताता, नतीजा वो वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर कॉन्टैक्ट करते, वहां उनकी डिटेल ली जाती. और ठग कुछ ही मिनटों के भीतर उनकी क्रिप्टोकरेंसी को अपने वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते और इसको localbitcoins.com नाम की वेबसाइट पर बेच देते. ये खेल इतना बड़ा था कि इस धोखाधड़ी से चिराग और उसके परिवार ने 15 करोड़ रुपये कमाए.
इससे पहले 6600 करोड़ रुपये के बिटक्वाइन का खेल भी खुला था, जिसमें ईडी ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था. अब झांसी का केस चूंकि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा बताया जा रहा है, इसलिए सतर्क रहें, सावधान रहें, रातों-रात अगर आपका पड़ोसी भी अमीर हो रहा है तो जरूरी नहीं उसकी कमाई का साधन सही ही हो, इसलिए ऐसे लोगों पर नजर रखें. अगऱ ईडी या सीबीआई को आप ऐसी कोई गुप्त सूचना देते हैं, तो न सिर्फ आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा, बल्कि आपको पैसे भी मिल सकते हैं.
पहले नियम के मुताबिक जिसके घर छापा पड़ता था, अगर वो शिकायकर्ता का नाम मांग ले, तो अधिकारियों को बताना पड़ता था कि ये जानकारी उसे किसने दी. लेकिन अब ऐसा नहीं है अब सरकार ने न सिर्फ नियम बदली, बल्कि मुखबिरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नाम बताने की बाध्यता खत्म कर दी है, इसलिए बेखौफ होकर शिकायत करें, और जिम्मेदार नागरिक बनें.