''तुम बच्चे थे'': बिहार विधानसभा में तेजस्वी पर फिर भड़के CM नीतीश कुमार, बताया क्यों हुए थे अलग

Amanat Ansari 23 Jul 2025 03:53: PM 2 Mins
''तुम बच्चे थे'': बिहार विधानसभा में तेजस्वी पर फिर भड़के CM नीतीश कुमार, बताया क्यों हुए थे अलग

नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को तेजस्वी यादव पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन इसलिए तोड़ा क्योंकि वह सरकार में "अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था." विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन के मुद्दे पर बोलते हुए तेजस्वी को बीच में टोकते हुए नीतीश ने उनके माता-पिता के मुख्यमंत्री कार्यकाल की याद दिलाई.

नीतीश ने कहा, "जब तुम छोटे थे, तुम्हारे पिता सात साल तक मुख्यमंत्री थे, और तुम्हारी मां सात साल तक मुख्यमंत्री थीं. तब क्या स्थिति थी? मैं कुछ समय के लिए तुम्हारे साथ गया, लेकिन तुम सही काम नहीं कर रहे थे, इसलिए मैंने तुम्हें छोड़ दिया. हम (JDU और BJP) शुरू से एक साथ हैं, और ऐसे ही रहेंगे." उन्होंने आगे कहा, "तुमने महिलाओं के लिए क्या किया? तुमने मुस्लिमों के लिए क्या किया? हमने सभी वर्गों के लिए काम किया है. क्या तुम्हें पता भी है? तुम तो बच्चे थे. क्या उस समय पटना में कोई अंधेरा होने के बाद घर से बाहर निकलने की हिम्मत करता था?"

यह तीखी नोकझोंक तब हुई जब विपक्षी विधायकों ने निर्वाचन आयोग के अभ्यास के विरोध में काले शर्ट पहने थे. तेजस्वी ने सवाल उठाया कि मतदाता सूची संशोधन अभियान पिछले साल लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद क्यों शुरू नहीं किया गया. उन्होंने कहा, "हम SIR का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है. निर्वाचन आयोग का कहना है कि उन्हें शिकायतें मिली हैं कि बाहर से आए लोग यहां मतदाता बन गए हैं. यह अभियान 2003 में किया गया था, और तब इसे पूरा होने में एक साल लगा था."

उन्होंने आगे कहा, "2003 से 2025 के बीच कई चुनाव हो चुके हैं. क्या फिर हम कहें कि नीतीश कुमार नकली मुख्यमंत्री हैं? हम सभी जो चुने गए, क्या हम नकली मतदाताओं के समर्थन से यहां आए?" निर्वाचन आयोग के इस अभियान ने चुनावी बिहार में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें विपक्ष का आरोप है कि आयोग मतदाता सूची संशोधन के बहाने मतदाताओं की नागरिकता की जांच करने की कोशिश कर रहा है.

विपक्षी नेता चेतावनी दे रहे हैं कि इस अभियान के कारण बड़ी संख्या में लोग अपने मतदान अधिकार खो सकते हैं. निर्वाचन आयोग ने बताया कि इस अभियान के दौरान 52 लाख से अधिक मतदाता अपने पंजीकृत पते पर नहीं मिले. यह राज्य के पंजीकृत मतदाताओं का 6.62 प्रतिशत है. इनमें से कई की मृत्यु हो चुकी है, कुछ स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं, कुछ ने कई स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकरण कराया है, या कुछ का पता नहीं चल रहा है.

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