मोदी के श्रीलंका पहुंचते ही क्यों होने लगी जंग की बात, कच्चाथीवू का क्या है इतिहास, इंदिरा ने क्यों किया था श्रीलंका के हवाले?

Rahul Jadaun 05 Apr 2025 11:56: AM 2 Mins
मोदी के श्रीलंका पहुंचते ही क्यों होने लगी जंग की बात, कच्चाथीवू का क्या है इतिहास, इंदिरा ने क्यों किया था श्रीलंका के हवाले?

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका के दौर पर हैं, जहां उनका भव्य स्वागत भी हो रहा है, लेकिन भारत में श्रीलंका से जुड़े एक मसले पर जमकर विवाद भी हो रहा है. एक ऐसा द्वीप जिसके लिए खुद मोदी सरकार 2015 में कह चुकी है कि इसके लिए हमें जंग लड़नी पड़ेगी. क्या अब मोदी श्रीलंका से उस द्वीप को वापस लेकर आएंगे जिसे इंदिरा गांधी ने तोहफे में दे दिया था!

क्या है पूरा विवाद ?

ये पूरा विवाद कच्चाथीवू नाम के द्वीप को लेकर है. जिसे 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने श्रीलंका को सौंप दिया था. जबकि अगर इतिहास को देखा जाए तो ये भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है. एक बार कच्चाथीवू के इतिहास की पूरी टाईमलाइन को देखते हैं.

कच्चाथीवू का इतिहास

  • 14वीं शताब्दी में एक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था जिसके बाद कच्चाथीवू द्वीप का निर्माण हुआ था.
  • ये रामेश्वरम से करीब 19 किलोमीटर और श्रीलंका के जाफना जिले से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर है.
  • 1902 से पहले तक रामनाथपुरम साम्राज्य का इस द्वीप पर शासन था
  • 1902 में अंग्रेजों ने इसे अपने कब्जे में लेकर रामनाथपुरम साम्राज्य को पट्टे पर दे दिया
  • 1974 में इंदिरा गांधी ने श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ एक समझौता किया जिसेमे ये द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया
  • 1991 में तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पास कर द्वीप वापस लेने की मांग की
  • 2008 में तमिलनाडु की तत्कालीन सीएम जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कच्चाथीवू द्वीप समझौता रद्द किया जाए
  • 2023 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने पीएम मोदी को पत्र लिख कर इस द्वीप को वापस लेने की मांग उठाई

 

लगातार इस द्वीप पर क्यों हो रहा विवाद?

शुरूआत में कच्चाथीवू द्वीप पर भारत और श्रीलंका के मछुआरे आराम से मछली पकड़ते थे, उन्हें कोई रोक-टोक नहीं थी, लेकिन बाद में श्रीलंका ने भारतीय मछुआरों को द्वीप से गिरफ्तार करना शुरू कर दिया, श्रीलंका की तरफ से कहा गया कि भारतीय मछुआरों की वजह से हमारे मछुआरों के लिए मछलियां कम बचती हैं, इसलिए वो अपने क्षेत्र से ही मछली पकड़ें, वरना जो कार्रवाई होगी उसके लिए मानवाधिकार का मुद्दा ना उठाया जाए.

मोदी सरकार ने कहा था इसके लिए जंग लड़नी पड़ेगी

2015 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में इस द्वीप को वापस लेने के लिए एक याचिका दायर की थी, उनका तर्क था कि यह समझौता संसद की मंजूरी के बिना किया गया था, इसलिए यह अवैध है.

इस याचिका के जवाब में केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने कोर्ट से कहा था कि मामला अंतर्राष्ट्रीय कानून और कूटनीति से जुड़ा हुआ है, ये तभी संभव हो सकता है जब भारत और श्रीलंका के बीच जंग हो, क्योंकि बिना जंग के श्रीलंका इस द्वीप को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होगा.

ऐसे में पीएम मोदी के श्रीलंका दौरे पर जाते ही भारत में कच्चाथीवू द्वीप की मांग भी उठने लगी है, लोगों का कहना है कि जो द्वीप शुरू से भारत का रहा है उसे वापस भारत को सौंपा जाना चाहिए.

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