मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि आवंटन 'घोटाले' में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. इसी बीच एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे सिद्धारमैया की मुश्किलें दोगुनी हो गई है. दरअसल, अब लोकायुक्त पुलिस ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार मैसूर लोकायुक्त ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत उक्त एफआईआर दर्ज की है. मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि सीएम सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और अन्य को मामले में आरोपी बनाया गया है.
इससे पहले घोटाले से संबंधित शिकायतकर्ताओं में से एक स्नेहमयी कृष्णा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मामले को लोकायुक्त से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग की थी. अब इस मामले की सुनवाई 30 सितंबर को होने की उम्मीद है. यह तब हुआ जब बेंगलुरु की विशेष अदालत ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 56 करोड़ रुपये की 14 साइटों के आवंटन में अवैधताओं के आरोप पर कर्नाटक लोकायुक्त को जांच करने का निर्देश देने वाला एक आदेश पारित किया.
कर्नाटक लोकायुक्त की मैसूर जिला पुलिस को जांच करनी होगी और तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी. विशेष अदालत का यह आदेश मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा 19 अगस्त को दिए गए अपने अंतरिम स्थगन आदेश को रद्द करने के बाद आया, जिसमें अदालत को सिद्धारमैया के खिलाफ शिकायतों पर निर्णय स्थगित करने का निर्देश दिया गया था. इससे पहले आज कर्नाटक के मुख्यमंत्री के वित्तीय सलाहकार बसवराज रायरेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस्तीफे की कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा था कि उच्च न्यायालय ने जांच का आदेश दिया है. जांच और अभियोजन में अंतर होता है. पीसीए की धारा 17ए के तहत कोई भी जांच कर सकता है... यह एक राजनीतिक खेल है, यह भ्रष्टाचार का मामला बिल्कुल नहीं है. यह प्रक्रियागत चूक हो सकती है, लेकिन इसमें मुख्यमंत्री की क्या भूमिका है? अगर किसी ने प्रक्रियागत चूक की है, तो वह केवल MUDA है... मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करने की कोई जरूरत नहीं है.