नई दिल्ली: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुवार, 5 जून 2025 को पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने गुरुग्राम और हिसार में प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के लिए विशेष बाजार स्थापित करने की योजना का ऐलान किया. यह घोषणा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन के दौरान की गई. इस पहल का उद्देश्य टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना और पर्यावरण को संरक्षित करना है.
गुरुग्राम में स्थापित होने वाला बाजार प्राकृतिक और जैविक तरीके से उगाए गए गेहूं, धान और दालों पर केंद्रित होगा. वहीं, हिसार का बाजार फलों और सब्जियों के लिए होगा, जो पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से उगाए जाएंगे. इन उत्पादों को उचित मूल्य दिलाने के लिए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के तहत एक समिति बनाई जाएगी. यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित लाभ मिले और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण जैविक उत्पाद उपलब्ध हों.
मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य योजनाओं की भी घोषणा की. उन्होंने प्रत्येक किसान को जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग के लिए 20,000 रुपए की वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया. इसके अलावा, प्राकृतिक तरीके से उगाए गए उत्पादों की मुफ्त जांच के लिए विशेष प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी. ये प्रयोगशालाएँ उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगी, जिससे उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा और जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा.
एक और महत्वपूर्ण कदम में, मुख्यमंत्री ने भूमिहीन किसानों को सशक्त बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया. उन्होंने घोषणा की कि प्रत्येक गाँव में पंचायत की 10% जमीन या कम से कम एक एकड़ जमीन प्राकृतिक खेती के लिए आरक्षित की जाएगी. यह जमीन नीलामी के माध्यम से केवल उन किसानों को दी जाएगी, जिनके पास खुद की जमीन नहीं है. इसके अलावा, कैथल के पुंडरी ब्लॉक में कृषि विभाग की 53 एकड़ जमीन भी प्राकृतिक खेती के लिए नीलामी के जरिए किसानों को दी जाएगी.
प्राकृतिक खेती योजना के तहत, सरकार उन किसानों को 3,000 रुपए की सहायता देगी, जो सरकारी या पंचायत की जमीन पर जैविक खेती करेंगे. यह राशि कच्चा माल स्टोर करने के लिए ड्रम खरीदने में मदद करेगी. इसके अलावा, देसी गायों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए 30,000 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी, क्योंकि ये गायें प्राकृतिक खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं