नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बुधवार को महाराष्ट्र के खुल्ताबाद में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को गिराने की मांग को लेकर चल रहे विवाद से खुद को अलग कर लिया. आरएसएस मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुनील आंबेकर ने महाराष्ट्र के नागपुर में हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि किसी भी तरह की हिंसा समाज के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. आंबेकर ने कहा, "किसी भी तरह की हिंसा समाज के स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है. मुझे लगता है कि पुलिस ने घटना का संज्ञान लिया है और विवरण पर गौर करेगी."
जब सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले मुगल सम्राट की प्रासंगिकता के बारे में पूछा गया, तो आंबेकर ने सवाल को खारिज करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि औरंगजेब आज के समय में प्रासंगिक नहीं हैं." मुगल बादशाह औरंगजेब की खुल्ताबाद में कब्र को हटाने की मांग को लेकर दो समूहों के बीच हिंसक झड़प के कुछ दिनों बाद यह घटना हुई है. शहर के पुलिस आयुक्त रविंदर कुमार सिंघल ने दो बुलडोजर और पुलिस वैन सहित 40 वाहनों को आग लगाने के बाद भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शहर के कई इलाकों में स्थिति इस अफवाह के बीच बिगड़ गई कि विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल द्वारा महल गेट के शिवाजी पुतला चौक पर आंदोलन के दौरान मुस्लिम समुदाय की एक पवित्र पुस्तक जलाई गई थी. विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर औरंगजेब के पुतले और एक धार्मिक चादर भी जलाई गई. इसके कारण दूसरे समुदाय की ओर से जवाबी कार्रवाई हुई, जिसमें लगभग 1,000 लोगों ने बड़े पैमाने पर पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और कई वाहन और घर क्षतिग्रस्त हो गए.
गणेशपेठ पुलिस स्टेशन में एक ही एफआईआर में 650 से अधिक दंगाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिसमें बीएनएस के तहत 57 धाराएं लगाई गईं. पुलिस के एक सूत्र ने बताया कि पुलिस ने अल्पसंख्यक लोकतांत्रिक पार्टी के 51 कार्यकर्ताओं को भी अपराध में नामजद किया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी चेतावनी दी कि अगर राज्य में औरंगजेब का महिमामंडन करने का कोई प्रयास किया गया तो उनकी सरकार कार्रवाई करेगी.