Operation Drishti Yogi Adityanath: यूपी में मोहर्रम और कांवड़ यात्रा को लेकर पहले से अलर्ट जारी है, इसी बीच प्रयागराज में हुई घटना ने यूपी पुलिस को हैरान कर दिया है, मुजफ्फरनगर चूंकि पहले से संवेदनशील जिला रहा है, और वहां से कांवड़ यात्रा गुजरती है, इसलिए वहां पुलिस फोर्स की खास तैयारी है. खुफिया रिपोर्ट ये दावा करती है कांवड़ यात्रा में जातीय हिंसा की साजिश रची जा सकती है. इसीलिए वहां के पुलिस अधिकारियों ने शहर में चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए 5 बड़े प्लान बनाए हैं.
ANPR कैमरे से गाड़ियों के नंबर प्लेट की ऑटोमेटिक पहचान होगी, चूंकि मुजफ्फरनगर में स्वामी यशवीर की टीम पहले से ही एक नया बखेड़ा खड़ा कर चुकी है, जिसे लेकर सवाल उठ रहे हैं, वहां एक ढाबे का संचालक जब मुस्लिम निकला, और वहां काम करने वाले ने आधार कार्ड नहीं दिखाया तो पैंट उतरवाकर उसकी धर्म की पहचान की गई, जिसे लेकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं, तो वहीं कई लोग इसके समर्थन में हैं. समर्थन करने वालों का दावा है कि ढाबे पर नेमप्लेट लगाना ही होगा, ताकि हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ न हो, कोई भी कांवड़ यात्री कहां पानी पी रहा, कहां खाना खा रहा, उसे ये पता हो, औऱ ये जानने का उसे हक भी है, कोई भी नाम छिपाकर कारोबार करे ये ठीक नहीं है. लेकिन समाजवादी पार्टी के नेताओं को ये बात रास नहीं आ रही, सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन कहते हैं
“सरकार के आदेश का पालन कराना प्रशासन का काम है,ये नहीं कि 8 से 10 आदमी खड़े होकर धमकाने लगे. अगर धमकाने पर किसी ने हिंदू नाम बता दिया तो क्या वह तब भी पैंट उतरवाकर देखेंगे. अगर ऐसा करेंगे तो वे भी आतंकवादी हैं और उन्हीं की तरह बर्ताव कर रहे हैं.”
एसटी हसन पहलगाम घटना से भी इसे जोड़ देते हैं, जिसके बाद हंगामा खड़ा हो ज जाता है, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह तो ये तक कहते हैं कि दिक्कत तब होती है जब ऐसी यात्रा का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए किया जाता हो, अब नफरत कौन फैला रहा है, ये आप खुद तय कर सकते हैं. पर बीजेपी सांसद और प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी कहते हैं
“राहुल गांधी विदेश में 'डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व' जैसी बैठकों में हिस्सा लेते हैं, चेन्नई में 'सनातन धर्म के उन्मूलन' की बातें होती हैं और उसी सोच से ये दोनों नेता प्रभावित नजर आते हैं. दिग्विजय सिंह के लिए तो जाकिर नाइक शांतिदूत है, वो ओसामाजी और हाफिजजी कहते हैं. लेकिन कांवड़ यात्रा में इन्हें सांप्रदायिकता नजर आती है.”
यूपी से लेकर उत्तराखंड तक कांवड़ यात्रा में नेमप्लेट को लेकर सरगर्मियां तेज हो गईं हैं. ओवैसी जैसा नेता कह रहे हैं कि चेकिंग करना प्रशासन का काम है, ये संगठन वालों को नहीं करना चाहिए, तो वहीं बाबा रामदेव कह रहे हैं पहचान जानने का अधिकार सबको है, तो फिर पूछ ली पहचान तो क्यों मचा है घमासान, सोचिए और जवाब दीजिए.