बख्तियार खिलजी ने किया था नष्ट, 800 साल बाद पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

Global Bharat 18 Jun 2024 10:15: PM 2 Mins
बख्तियार खिलजी ने किया था नष्ट, 800 साल बाद पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

पिछले दो दिनों से नालंदा विश्वविद्यालय सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड कर रहा है. आखिर इसकी क्या वजह है? हो सकता है आप लोगों में से कुछ लोग कहेंगे कि क्योंकि पीएम मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं इसलिए नालंदा की चर्चा सोशल मीडिया पर ज़ोरों से हो रही है. तो हम आपको बता दें कि आप पूरी तरह से सही नहीं हैं. क्योंकि अगर ऐसा होता तो मोदी ने अभी तक जितने भी उद्घटान किए हैं सभी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते. दरअसल नालंदा विश्वविधयालय के सोशल मीडिया पर छाने की वजह उसका रोचक इतिहास भी है. आखिर क्या है नालंदा विश्व विद्यालय का इतिहास जिस वजह से इसका उद्घाटन सुर्खियॉं में छाया हुआ है? क्यों ये उद्घाटन बिहार के लिए बहुत ही गर्व और ख़ुशी का मौका है?

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रखी थी नींव

तो आपको बता दें कि पूरे 815 साल बाद नालंदा एक बार पूरे दुनिया में इतिहास रचने के कगार पर है. 455 एकड़ में नालंदा यूनिवर्सिटी का पुनर्निर्माण किया गया है. जहां 221 संरचनाएं लाई गई हैं. इसके निर्माण की नींव तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 19 सितंबर 2014 को रखी गई थी. आप में से बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इसकी नीवं भले ही सुषमा स्वराज ने रखी थी लेकिन विश्व प्राचीन विश्वविद्यालय नालंदा की पूर्ण स्थापना का सपना हमारे पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन के नाम से प्रख्यात डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने देखा था.

अब्दुल कलाम ने दी थी पुर्नजीवित करने की सलाह

28 मार्च 2006 को एपीजे अब्दुल कलाम बिहार दौरे पर राजगीर आए थे. तभी उन्होंने प्राचीन विश्वविद्यालय नालंदा को पुर्नजीवित करने की सलाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दी थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी.इसके इतिहास की बात करें तो प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 427 में सम्राट कुमार गुप्त ने की थी, जहां 12वीं शताब्दी के अंत तक यह विश्वविद्यालय संचालित होता रहा.

पूर्ण रूप से जलने से पहले तीन बार हुआ आक्रमण

बीच-बीच में 03 बार आक्रमणकारियों ने आक्रमण भी किया. पांचवी सदी में बने इस विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे. जिनके लिए 1500 से ज्यादा अध्यापक हुआ करते थे. यहां तकरीबन 1600 साल पहले देश-दुनिया के लोग शिक्षा लेने के लिए आते थे. छात्रों में ज्यादातर एशियाई देश जैसे चीन, कोरिया, जापान, भूटान से आने वाले बौद्ध भिक्षु होते थे. इतना ही नही चाइना के छात्र ह्वेनसांग ने भी सातवीं सदी में इसी नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की थी. यह विश्वविद्यालय पूरे दुनिया भर में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा शैक्षणिक केंद्र था. 

1193 में बख्तियार खिलजी ने जलाकर किया था नष्ट

1193 में एहसान फरामोश बख्तियार खिलजी ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगा दी. इस यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में इतनी किताबें थी कि तीन महीने तक आग धधकती रही. बता दें कि मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी तत्कालनीन दिल्ली सल्तनत का शासक कुतुबुद्दीन ऐबक का सेनापति था, जो बाद में बिहार का पहला मुस्लिम शासक भी बना. वो इतना क्रूर था कि उसने अनेकों धर्माचार्यों और बौद्ध भिक्षुओं की जान लेली और नालंदा विश्वविद्यालय को खंडहर बना दिया. सिर्फ ये ही  नहीं इसके अलावा भी उसके जुल्म-ओ-सितम की अनेकों कहानियां हैं. यूनेस्को ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय खंडहर को विश्व धरोहर के रूप में भी शामिल किया गया है और अब 825 साल बाद नालंदा विश्वविद्यालय नया इतिहास बनाने जा रहा है.

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