नई दिल्ली: क्या मोदी को हराने में इंडी गठबंधन फेल हुआ तो राहुल गांधी इंटरनेशनल गठबंधन बनाने विदेश रवाना हो गए... जो बात वो कहते हैं हम भारतीय लोकतंत्र और भारतीय राज्य से लड़ रहे हैं, क्या इसके लिए वो जॉर्ज सोरोस और इल्हान उमर समेत तमाम भारत विरोधियों से क्लास लेने गए हैं, आखिर लेह में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के तुरंत बाद राहुल के 4 देशों के सीक्रेट दौरे पर जाने के क्या मायने हैं...
ये सवाल बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने जैसे ही पूछा, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा नई कहानी बताने लगे, वो कहते हैं, ''राहुल गांधी चार देशों की यात्रा के दौरान विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ संवाद करेंगे, जहां वे भारत की लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक चुनौतियों पर विचार साझा करेंगे.’ साथ ही वे कई देशों के राष्ट्रपतियों व शीर्ष नेताओं से भेंट करेंगे. और व्यापारिक समुदाय के साथ बैठकें बैठके करेंगे.''
अब सवाल है यात्रा जब चार देशों की है, तो उनके नाम सार्वजनिक क्यों नहीं हुए, क्या पार्टी को भी नहीं पता, वो देश कौन से हैं जहां राहुल जाएंगे. अगर उनका मकसद भारत के लोकतंत्र पर विचार रखने और व्यापारिक नीतियों को आगे बढ़ाना का है तो, अभी राहुल गांधी सिर्फ विपक्ष के नेता हैं. ऐसे में वो किसी भी आधिकारिक डील पर साइन नहीं कर सकते. ना भारत की नीतियों पर कोई निर्णय ले सकते हैं. फिर बार-बार विदेश क्यों जाते हैं, एक डाटा के हिसाब से हर साल करीब 65 विदेशी यात्राएं करते हैं, केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार 2015-2019 के बीच 247 ऐसी विदेश यात्राएं राहुल कर चुके हैं जिनकी जानकारी SPG को भी नहीं थी, सवाल ये है कि अगर ये पब्लिक फिगर हैं, भारत के संसद में विपक्ष के नेता हैं तो फिर अपनी विदेशी यात्राओं को सीक्रेट क्यों रखते हैं और फिर जब-जब विदेश से लौटते हैं, देश में नया हंगामा शुरू हो जाता है, ये अलग सवाल खड़ा करता है.
आखिर ये संयोग है या प्रयोग...क्या अक्टूबर के महीने में भी देश में कुछ होने वाला है, क्योंकि राहुल ने तो पहले ही कह दिया है वो हाइड्रोजन बम लाकर रहेंगे, तो क्या वो ब्राजील या दक्षिण अमेरिका के किसी देश से बनकर आएगा....या फिर राहुल इस बार भी कोई ऐसे काम में जुटे हुए हैं, जिससे भारत में हलचल पैदा किया जा सके. क्योंकि हाल के दिनों में नॉर्थ से लेकर साउथ तक, ईस्ट से लेकर वेस्ट तक भारत विरोधी टूलकिट पनपने लगे हैं.
आई लव मोहम्मद विवाद को लेकर जिस प्रकार से पूरे भारत को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है, उससे लग रहा है कि देश में कोई नई प्लानिंग चल रही है. उत्तर प्रदेश के बरेली से लेकर उत्तराखंड का काशीपुर तक पोस्टर के नाम पर सुलग रहा है...बिहार के जोगबनी में गृहमंत्री अमित शाह के दौरे से ठीक पहले हिंसा हुई. उत्तराखंड में पेपर लीक को मुद्दा बनाकर युवाओं को भड़काने की कोशिश हो रही है, यूपी में जाति के नाम पर आंदोलन और प्रदर्शन पर रोक लग चुकी है लेकिन बंगाल से लेकर बिहार तक लगता है नई साजिश रची जा रही है.