नई दिल्ली: राज ठाकरे ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की. यह मुलाकात तब हुई जब एक दिन पहले ठाकरे बंधु (राज और उद्धव) बेस्ट कर्मचारी सहकारी क्रेडिट सोसाइटी के चुनाव में 21 में से एक भी सीट नहीं जीत सके. इस मुलाकात के विवरण गुप्त हैं, लेकिन इसका राजनीतिक महत्व नजरअंदाज करना मुश्किल है, क्योंकि मुंबई में बीएमसी चुनाव जल्द होने वाले हैं.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने पहली बार इस चुनाव में साथ मिलकर हिस्सा लिया था, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. शशांक राव की बेस्ट वर्कर्स यूनियन ने 14 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी समर्थित प्रसाद लाड और प्रवीण दरेकर के पैनल ने 7 सीटें हासिल कीं. यह हार उद्धव और राज के लिए बीएमसी चुनाव से पहले बड़ा झटका है. विश्लेषकों का कहना है कि यह हार उनकी कमजोर जमीनी तैयारी को दर्शाती है.
फडणवीस ने कहा कि इस नतीजे से "ठाकरे ब्रांड" को जनता ने नकार दिया. प्रसाद लाड ने दावा किया कि कर्मचारियों ने 25 साल की शोषण की सजा दी. वहीं, शिवसेना (यूबीटी) के नेता सुहास सामंत ने वोट के लिए पैसे बांटने का आरोप लगाया, जिसे विरोधियों ने खारिज कर दिया.
पिछले महीने, उद्धव और राज ने मुंबई में एक बड़ी रैली में एक मंच साझा किया था, जो तीन-भाषा नीति से संबंधित सरकारी प्रस्तावों को वापस लेने के लिए आयोजित की गई थी. रैली में राज ठाकरे ने बीजेपी-नीत महायुति पर निशाना साधते हुए कहा, "बिना चर्चा के हिंदी थोपने की कोशिश क्यों? यह बच्चों के साथ अन्याय है. तुम विधानसभा में राज कर सकते हो, लेकिन सड़कों पर हम राज करते हैं." उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "फडणवीस ने वह कर दिखाया जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके - मुझे और उद्धव को एक साथ लाना."
चुनाव में हार मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष रामदास अठावले ने महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे ब्रदर्स को लेकर अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा था, ''राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने से महाराष्ट्र की राजनीति में कोई अलग प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. BEST के चुनाव में दोनों के साथ आने के बाद भी करारी हार बताती है कि इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है.''