नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण को शनिवार को उत्तर प्रदेश का नया कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया है. यह जानकारी सरकारी आदेश के जरिए दी गई. राजीव कृष्ण ने इससे पहले डीजी विजिलेंस और उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम किया है. उन्होंने पूर्व DGP प्रशांत कुमार का स्थान लिया है, जो शनिवार को सेवानिवृत्त हुए. राजीव कृष्ण ने पत्रकारों से कहा, "मैंने नया DGP के रूप में कार्यभार संभाल लिया है. आगे की चर्चा प्रेस कॉन्फ्रेंस में होगी."
राजीव कृष्ण का करियर
राजीव कृष्ण 1991 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और तब से उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है. उन्होंने बरेली, कानपुर, और अलीगढ़ में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में अपनी सेवा शुरू की. इसके बाद वे अलीगढ़ में एसपी सिटी रहे. उन्होंने फिरोजाबाद, इटावा, मथुरा, फतेहगढ़, बुलंदशहर, नोएडा, आगरा, लखनऊ और बरेली में पुलिस अधीक्षक (एसपी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के रूप में काम किया. जब उत्तर प्रदेश में आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) बनाया गया, तो राजीव कृष्ण इसके पहले डीआईजी बने और इसकी कमान संभाली. उन्होंने मेरठ में रेंज के आईजी के रूप में भी काम किया. योगी आदित्यनाथ सरकार में वे डेढ़ साल तक लखनऊ जोन के एडीजी और ढाई साल तक आगरा जोन के एडीजी रहे. अगस्त 2023 में उन्हें विजिलेंस का एडीजी बनाया गया, और जनवरी 2024 में डीजी के पद पर प्रोन्नति के बाद डीजी विजिलेंस बनाया गया. मार्च 2024 में पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने के बाद उन्हें पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड की कमान भी सौंपी गई.
पेपर लीक कांड में भूमिका
पिछले साल उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने के बाद सरकार की किरकिरी हुई थी. इसके परिणामस्वरूप तत्कालीन भर्ती बोर्ड की अध्यक्ष रेणुका मिश्रा को हटा दिया गया था. राजीव कृष्ण की अध्यक्षता में पुलिस भर्ती बोर्ड ने बाद में इस परीक्षा को सफलतापूर्वक आयोजित किया, जिसके कारण DGP के पद के लिए उनका नाम सबसे आगे था.
अखिलेश यादव का तंज
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर स्थायी DGP के बजाय कार्यवाहक DGP नियुक्त करने के लिए निशाना साधा. उन्होंने X पर लिखा, "यूपी को एक और कार्यवाहक DGP मिला! जाते-जाते प्रशांत कुमार सोच रहे होंगे कि उन्हें क्या मिला और कौन हर गलत को सही साबित करता रहा. अगर वह संविधान और कानून के प्रति वफादार होते, तो कम से कम अपनी नजरों में सम्मान पाते. अब देखना यह है कि नया व्यक्ति पूरे राज्य में बुने गए जाल से खुद को मुक्त कर निष्पक्ष न्याय दे पाता है या वह भी उसी जाल में फंसकर राजनीति का शिकार हो जाता है." उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली और लखनऊ के बीच की लड़ाई का खामियाजा यूपी की जनता और खराब कानून-व्यवस्था को क्यों भुगतना चाहिए.
पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है
राजीव कृष्ण का परिवार प्रभावशाली नौकरशाही और राजनेताओं से जुड़ा है. उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंह एक आईआरएस अधिकारी हैं और वर्तमान में आयकर आयुक्त के पद पर तैनात हैं. उनके साले राजेश्वर सिंह, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में संयुक्त निदेशक थे, अब लखनऊ की सरोजिनी नगर सीट से बीजेपी विधायक हैं. राजेश्वर सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह नोएडा की पुलिस आयुक्त हैं. मीनाक्षी की बड़ी बहन अभा सिंह डाक सेवा में रहीं और यूपी की पीएमजी रह चुकी हैं. वह अब बॉम्बे हाई कोर्ट में वरिष्ठ वकील हैं, जबकि उनके पति वाईपी सिंह पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं.