चंडीगढ़: जब नायब सिंह सैनी हरियाणा सीएम के पद की शपथ के लिए मंच पर बैठे थे, तब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के कान में चंद्रबाबू नायडू क्या कह रहे थे, कभी नड्डा तो कभी शाह के कान में नायडू क्या कहने की कोशिश कर रहे थे, जिसे सुनने के बाद नड्डा हंसते हैं, जबकि शाह का रिएक्शन चौंका देने वाला होता है, आखिर बीच शपथग्रहण कौन सी बातचीत चल रही थी, किस मुद्दे पर बातचीत हो रही थी, इसे जानने के लिए आपको ये तस्वीर शुरुआत से देखनी होगी.
इस वीडियो में सबसे पहला हिस्सा नजर आता है, नायब सिंह सैनी के मंच पर पहुंचने का, सैनी हाथ जोड़े मनोहर लाल के साथ मंच पर पहुंचते हैं, सबसे पहली मुलाकात होती है जेडीयू के बड़े नेता और नीतीश कुमार के खास ललन सिंह से, उसके बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करते हैं, सीएम योगी से कुछ सेकेंड रुककर सैनी बातचीत भी करते हैं, शायद हाल पूछ रहे हों, उसके बाद सैनी की मुलाकात नितिन गडकरी, जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से होती है, और सैनी अपनी कुर्सी पर बैठ जाते हैं. उसके बाद मंच पर एंट्री होती है चंद्रबाबू नायडू की, जो सीधा गडकरी से मिलते हैं, और अमित शाह के बगल में जाकर बैठ जाते हैं.
तस्वीरें देखकर आप समझ सकते हैं नायडू की एनडीए में कितनी अहमियत है, उनकी कुर्सी गृहमंत्री शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बगल में लगाई जाती है, जैसे ही नायडू बैठते हैं, नड्डा उन्हें इशारे से कुछ कहते हैं, और फिर दोनों बातचीत करने लगते हैं. करीब 4 सेकेंड तक दोनों किसी मुद्दे पर बातचीत कर मुस्कुराते हैं, उसके बाद नायडू गृहमंत्री शाह से कुछ कहते हैं. शाह वो बात सुनकर गंभीर नजर आते हैं, हो सकता है दोनों के बीच तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू मसले पर बातचीत हो रही हो, या फिर इस शपथग्रहण समारोह के बाद चंडीगढ़ में होने वाली मीटिंग को लेकर चर्चा हो रही हो, दरअसल शपथग्रहण के तुरंत बाद चंडीगढ़ में एनडीए शासित राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम की मीटिंग बुलाई गई, जिसकी अध्यक्षता पीएम मोदी ने की.
जिन्हें पीएम मोदी कोई नया मंत्र देने वाले हैं, चूंकि झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, इसलिए इस मीटिंग के कई मायने निकाले जा रहे हैं, जबकि नड्डा और शाह के बीच में नायडू को बिठाए जाने की रणनीति को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं हैं. आपको याद होगा एक महीने पहले ऐसी ख़बरें सामने आई थी कि नायडू को एनडीए सरकार में तवज्जो नहीं मिल रही है, वो मोदी से नाराज चल रहे हैं, विपक्ष ने इस नैरेटिव को कुछ इस तरह फैलाया कि कई लोग इसे सच मान बैठे, यहां तक कि कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव ने तो बकायदा नीतीश कुमार को ये तक कह दिया कि तोड़ लीजिए न गठबंधन, बीजेपी सरकार जयप्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि देने से हमें रोक रही है, आप जेपी के कैसे शिष्य हैं, अखिलेश के इस बयान पर जेडीयू के कई नेता भड़क गए थे, और अब नायब सिंह सैनी के शपथग्रहण समारोह में ललन सिंह को भेजकर जेडीयू ने सारी अटकलों को पीछे छोड़ दिया है.
ऐसा लगता है जैसे शपथग्रहण के साथ-साथ हरियाणा में एनडीए का शक्तिप्रदर्शन भी चल रहा था. वहीं नायब सैनी की कैबिनेट की बात करें तो इसे जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर संतुलित किया गया है: सैनी कैबिनेट में 2 दलित, 2 ब्राह्मण 2 जाट, 4 ओबीसी एक राजपूत और एक पंजाबी और एक बनिया शामिल हैं.
जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर संतुलित किया गया
पंजाबी समाज से अनिल विज, दलित समाज से: कृष्ण लाल पंवार, कृष्ण कुमार बेदी, ब्राह्मण से, अरविंद शर्मा, गौरव गौतम, जाट से, श्रुति चौधरी, महिपाल ढांडा, ओबीसी से राव नरबीर सिंह, आरती राव, रणबीर सिंह गंगवा, राजेश नागर, बनिया से विपुल गोयल और राजपूत समाज से श्याम सिंह राणा को मंत्री बनाया गया है. सैनी कैबिनेट का ये संतुलन बताता है दूसरी बार सीएम बने नायब सिंह सैनी हर किसी को साथ लेकर चलना चाहते हैं.