Ankita Bhandari case: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले का एक रिजॉर्ट बीते 3 सालों से सुर्खियों में है, वहां रिशेप्सनिस्ट की नौकरी करने वाली अंकिता भंडारी की आत्मा को आज करीब तीन साल बाद इंसाफ मिला है. जिन लोगों ने अंकिता को नहर में धक्का दिया था, उन तीनों आरोपियों को कोटद्वार कोर्ट की जज रीना नेगी ने दोषी करार दिया है. जिसमें एक उत्तराखंड बीजेपी नेता विनोद आर्य का बेटा पुलकित आर्य भी है, जिसने अंकिता भंडारी को वीवीआईपी गेस्ट के पास स्पेशल सर्विस देने के लिए भेजने की जबरन कोशिश की थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है, वो वीवीआईपी गेस्ट कौन था, तो इस पर आएं, उससे पहले ये चैट देखिए, जो घटना से कुछ दिन पहले का है, और अंकिता भंडारी का बताया जा रहा है. अंकिता अपने किसी दोस्त को लिखती है
Ankita Bhandari case: इस चैट के बाद ये भी जानकारी सामने आई कि इसमें सर नाम का व्यक्ति पुलकित आर्य है, जो उस रिजॉर्ट का मालिक है, उसने जानबूझकर अंकिता से करीबी बढ़ाने की कोशिश की, वो उसे कार और स्कूटी सीखाने के बहाने छूता. वो जिस कमरे में रहता था, वो दो कमरों का सेट था, और एक दूसरे से जुड़े हुए थे, अंकिता जब वहां शिफ्ट हुई तो एक रात पुलकित ने उसके कमरे में बैठकर शराब पी और उसे जबरन गले लगाने की कोशिश की, अगले दिन जब अंकिता ने नाराजगी जताई तो उसने सॉरी बोला और कहा नशे में गलती हो गई. लेकिन उसकी प्लानिंग धीरे-धीरे इसके नजदीक आने की थी. एक दिन होटल में वीवीआईपी गेस्ट को स्पेशल सर्विस देने के लिए अंकिता को कहा तो उसने कहा
“मैं गरीब हो सकती हूं, लेकिन 10 हजार रुपये के लिए खुद को बेचूंगी नहीं”
यही वो मैसेज था, जिसने बीजेपी नेता के बेटे की पूरी पोल खोलकर रख दी, 18 सितंबर 2023 को अंकिता को ये तीनों मिलकर नहर में धक्का देते हैं, घरवाले गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं, चार दिन तक राजस्व पुलिस ढूंढ नहीं पाती तो मामला लोकल पुलिस को ट्रांसफर होता है, और 23 सितंबर को रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया जाता है. पूछताछ में कई खुलासे होते हैं, और कोटद्वार से कई किलोमीटर दूर ऋषिकेश के एक नहर से बॉडी मिलती है. जांच के लिए उधऱ एसआईटी का गठन होता है, इधर उत्तराखंड सरकार परिवार को 25 लाख की मदद देती है, लेकिन परिवार कहता है हमें पैसे नहीं इंसाफ चाहिए. करीब 100 गवाहों के बयान दर्ज होते हैं, 500 पन्ने की चार्जशीट तैयार होती है, परिवार के कहने पर तीन बार वकील बदला जाता है, और आखिर में सरकारी वकील की मजबूत दलीलों के आगे बीजेपी नेता के बेटे और उसके साथियों के वकीलों की फौज की दलीलें फीकी पड़ जाती है. कोटद्वार अदालत के जज ये फैसला सुनाते हैं कि
“तमाम गवाहों और सबूतों को ध्यान में रखते हुए अंकिता भंडारी केस के आरोपी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता को दोषी करार दिया जाता है. इन तीनों पर 72-72 हजार रुपये का आर्थिक दंड और इन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है.”
अंकिता के परिवाले आरोपियों को सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं. हो सकता है आरोपी इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में भी जाएं, लेकिन सवाल अब भी बरकरार है कि आखिर वो वीवीआईपी कौन था, जिसके लिए पुलकित आर्य ने इतना बड़ा कदम उठाया. पुलिस जांच में अगर उसका नाम आया है तो फिर उसे बेनकाब क्यों नहीं किया जा रहा, क्या यहां गोपनीयता बरतना जरूरी है.