गाजीपुर में जन्मा मुख्तार वो आदमी था, जिसने बाप-दादा की कमाई इज्जत मिट्टी में मिला दी, पिता सुबहानउल्लाह अंसारी साफ-सुथरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे, दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे, पर मुख्तार ने देश और प्रदेश के साथ क्या किया उसे सुनकर आप भी सिहर जाएंगे।
मुख्तार ने अपनी काली दुनिया की शुरुआत ही एक सिपाही को ऊपर भेजकर की। पुलिस ने पकड़ा तो दो पुलिसवालों को भी नहीं बख्शा। यह बात है 1991 की। इसी दौर में सरकारी ठेकों को लेकर गाजीपुर में इसकी दुश्मनी ब्रजेश सिंह से हुई। साल 1996 में मुख्तार के हौंसले इतने बुलंद हो गए थे कि इसने एएसपी तक को टारगेट किया। इसी साल मुख्तार ने पहली बार विधायकी का चुनाव जीता और राजनीति में आते ही पावर बढ़ गया। मुख्तार और ब्रजेश के ग्रुप के बीच बराबर आमना-सामना होता रहा, कई बड़ी फाइलें खुलती रहीं। साल 2005 में मुख्तार ने खुद ही गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, पर खेल करता रहा। भाई अफजाल अंसारी को चुनाव हरवाने वाले कृष्णानंद राय के साथ इसने जो किया, सब जानते हैं।
बावजूद उसके कुछ लोग मुख्तार से हमदर्दी जता रहे हैं, समाजवादी पार्टी पूरे सम्मान के साथ मुख्तार को लेकर ट्वीट करती है, बिहार के बाहुबली पप्पू यादव के ट्वीट में इतना सम्मान दिखता है कि शायद मुख्तार भी देखकर दंग रह जाता, फिर सवाल है कि विपक्ष के ज्यादा बड़े नेता ऐसा क्यों कर रहे हैं, तो इसकी भी वजह आपको समझाते हैं. पर उससे पहले मुख्तार के परिवार वालों पर कितने मुकदमें हैं ये जान लीजिए, 25 अक्टूबर 2005 से जेल में बंद मुख्तार की पत्नी और बेटे सब पर मुकदमें हैं।
पत्नी आफ्शा अंसारी पर 11, बड़े बेटे अब्बास पर 8, भाई अफजाल पर 6, बड़े भाई सिबगतुल्लाह पर 3 और छोटे बेटे उमर अंसारी पर भी कई मुकदमें दर्ज हैं, जिससे एक बात साफ है कि मुख्तार ने सपरिवार इतने गुनाह किए हैं जितना एक आम आदमी सोच भी नहीं सकता। ये बात तो आप भी जानते होंगे कि हर पार्टी का अपना एक वोटबैंक होता है, और सपा से लेकर बसपा तक का वोटबैंक मुख्तार जैसे लोग भी थे, जिनके एक इशारे पर पार्टी की कई सीटें बढ़ जाती थी। पर मुख्तार ने अपनी जिंदगी की एक ऐसी गलती कर दी कि जनता भी उसके खिलाफ हो गई।
कृष्णानंद राय के साथ चुनाव जीतने के बावजूद उसने जो किया वो ये बताता है कि कोई माफिया राजनीति में आता है तो वो कैसे जनादेश का भी अपमान करता है, इस कहानी से आप समझ सकते हैं। कहते हैं जेल में भी ऐश की जिंदगी जीता था, और साल 2010 में बसपा ने तंग आकर पार्टी से निकाल दिया, तो नया राजनीतिक ठिकाना ढूंढने लगा, पर मुख्तार की बदकिस्मती ये रही कि साल 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बन गई, कभी इसने योगी को भी टारगेट करने की कोशिश की थी, पर कहते हैं वक्त सबका बदलता है, आज मुख्तार ऊपर पहुंचा तो योगी का “मिट्टी में मिला देंगे” वाला बयान वायरल होने लगा।
आज मुख्तार इस दुनिया में नहीं रहा, पर उसके परिवार वाले उस दौर को याद कर रहे हैं जब मुख्तार के दादा ने गांधीजी के साथ काम करते हुए 1926-27 तक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे, पर मुख्तार ने प्रदेश और देश की जनता के साथ जो किया, उसे सुनकर आपका भी दिमाग भन्ना जाएगा। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार के चाचा लगते थे, मुख्तार के नाना मोहम्मद उस्मान को 1947 में शहादत के लिए महावीर चक्र मिल चुका था, पर मुख्तार ने जो किया वो सबने देखा।