क्रिकेट जगत को एक बड़ा झटका तब लगा जब रविचंद्रन अश्विन ने अचानक 2024 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान अपने संन्यास की घोषणा की. एडिलेड में खेले गए उस पिंक बॉल टेस्ट मैच में भारत को दस विकेट से हार का सामना करना पड़ा, और वह मैच अश्विन का अंतिम अंतर्राष्ट्रीय मैच साबित हुआ. इस तरह अश्विन ने अपने क्रिकेट करियर का समापन किया, जिसमें उन्होंने कुल 765 विकेट लिए.
अश्विन के अचानक संन्यास लेने के बाद कई लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें क्रिकेट से संन्यास लेने से पहले एक विदाई मैच मिलना चाहिए था, खासकर उनकी शानदार उपलब्धियों को देखते हुए. अब, अश्विन ने एक अंग्रेजी मीडिया चैनल से बातचीत करते हुए संन्यास के कारणों का खुलासा किया है.
अश्विन ने कहा कि जब एक क्रिकेट खिलाड़ी इस स्थिति तक पहुंचता है, तो संन्यास के बारे में विचार स्वाभाविक रूप से आते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कभी भी अपने भावनाओं को दबाने की कोशिश नहीं की और जो दिन वह यह महसूस करेंगे कि टीम को उनकी अब और जरूरत नहीं है, उस दिन वह क्रिकेट को अलविदा ले लेंगे. अश्विन ने हमेशा क्रिकेट को अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकता माना और टीम की सफलता को सबसे ऊपर रखा.
संन्यास का कारण:
अश्विन ने संन्यास लेने के फैसले के बारे में बताया, “मैंने इस बारे में बहुत सोचा था. मैंने सोचा था कि जिस दिन मैं सुबह उठकर यह महसूस करूं कि अब यहां मेरे लिए कोई भविष्य नहीं है, वही दिन मेरे करियर का आखिरी दिन होगा. मुझे अचानक ऐसा लगा कि अब यहां बहुत कुछ हासिल करने का काम खत्म हो चुका है.”
उन्होंने कहा, “मैं अपने फैसले को लेकर कोई पछतावा नहीं महसूस करता. मैंने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है. मुझे खुशी है कि क्रिकेट ने मेरे जीवन में प्रवेश किया, इसने मेरे जीवन को उद्देश्य दिया और मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला. टेस्ट क्रिकेट खेलने का अनुभव मेरे लिए जीवन के कई महत्वपूर्ण पाठों का कारण बना. मेरे लिए यह सबसे अच्छी चीज है जो मेरे साथ हुई है.”
अश्विन का करियर भारतीय क्रिकेट में हमेशा याद रखा जाएगा, और उनका योगदान भारतीय टीम के लिए अतुलनीय रहा है. उनके संन्यास का फैसला न केवल उनके लिए, बल्कि पूरी क्रिकेट दुनिया के लिए एक बड़ा कदम था.