क्या संविधान में बदलाव है संभव है, बीजेपी के संविधान में ही छिपा है जबाब ?

Global Bharat 21 Apr 2024 05:25: PM 2 Mins
क्या संविधान में बदलाव है संभव है,  बीजेपी के संविधान में ही छिपा है जबाब ?

विपक्ष बार-बार मोदी सरकार पर आरोप लगाता आया है कि वो संविधान बदलना चाहती है. अगर बीजेपी को लोकसभा में 400 सीट मिल जाती हैं तो उसके लिए संविधान बदलना बांए हाथ का खेल हो जाएगा. लेकिन इसके उलट मोदी से लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा हर कोई यही कह रहा है कि संविधान  बदलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि खुद बाबा साहेब आंबेडकर भी आ जाए तो भी संविधान में बदलाव नहीं हो सकता। और अब जेपी नड्डा ने भी एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा 'हम संविधान बिल्कुल नहीं बदलना चाहते हैं. हमारा संविधान के प्रति कमिटमेंट स्पष्ट है. कई बार भाषण देते देते जोश में आकर लाइन क्रॉस कर जाते हैं. बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष मैं कहना चाहता हूं कि हमारी ऐसी मंशा न कभी थी और न कभी रहेगी."

तो अब सवाल ये है कि जब बीजेपी आलाकमान बार-बार संविधान बदलने की बातों से इंकार कर रहे हैं तो फिर विपक्ष इन आरोपों को हवा क्यों दे रहा है? इन सब के  बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि विपक्ष जो आरोप लगा रहा है उसमें कोई सच्चाई है भी है या नहीं? इस वीडियो में हम आपको यही बताएंगे। 

आपको बता दें कि लोकसभा में भारी जीत हासिल करने पर क्या बीजेपी धर्मनिरपेक्षता को त्यागने के लिए संविधान बदल देगी? इसकी बहुत संभावना नहीं है। 
आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है ये भी आगे बताएंगे उससे पहले ये जानेंगे कि आखिर क्यों विपक्ष ऐसे आरोप लगा रहा है? किस आधार पर मोदी सरकार को घेर रहा है? इसकी प्रमुख वजह है मोदी सरकार संविधान में हुए संशोधन। 

बता दें कि मोदी के कार्यकाल में, संशोधनों में माल और सेवा कर की शुरूआत, भारत और बांग्लादेश के बीच परिक्षेत्रों का आदान-प्रदान, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षिक पदों में 10% आरक्षण, जो पहले से ही कोटा का फायदा नहीं ले रहे थे, और महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाएं सीटों का आरक्षण शामिल था। एक और महत्वपूर्ण बात संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करना था जिसने जम्मू और कश्मीर को स्वायत्तता दी थी। संशोधनों के इस लंबे इतिहास को देखते हुए, मोदी का संभवतः यह मतलब था कि आरक्षण और धर्मनिरपेक्षता को खत्म करने के लिए संविधान में बदलाव नहीं किया जा सकता है। ये दोनों संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं, जिनके बारे में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इन्हें बदला नहीं जा सकता।

भले ही मोदी सरकार ने ये संशोधन किए हैं लेकिन इसे देखकर ये बिलकुल नहीं कहा जा सकता कि मोदी सरकार संविधान में बदलाव कर सकती है. क्योंकि  बीजेपी की अपनी पार्टी के संविधान की शुरुआत 'कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने' का वादा करती है। अगर बीजेपी ने धर्मनिरपेक्षता को अस्वीकार करने और हिंदू राज्य बनाने के लिए अपनी पार्टी के संविधान में संशोधन नहीं किया है, तो क्या वह भारतीय संविधान में संशोधन करेगी? यानी साफ़ है कि बीजेपी का खुद का संविधान जिस संविधान के आधार पर बना है उसे बदलना उसके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

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