जब यूपी की 9 विधानसभा सीटों के नतीजे घोषित हो रहे थे, कानपुर की सीसामऊ सीट पर कांटे की टक्कर चल रही थी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर एनडीए का परचम फहराता दिख रहा था, करहल की सीट पर दो यादव दामादों में सियासी लड़ाई चल रही थी.
तब सीएम योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार के साथ क्या कर रहे थे, उनके साथ एसटीएफ हेड अमिताभ यश भी मौजूद थे, जो सुबह-सुबह ही लखनऊ में सीएम योगी के आवास पर पहुंच गए और योगी के भगवा कुर्ते पर एक खास चिन्ह लगाने लगे, वो क्या था, उसे जानने के लिए सीएम योगी के कमरे की तस्वीर जरा गौर से देखिए. जो कभी-कभार सामने आती है.
योगी के कमरे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर टंगी है. बीच में उत्तर प्रदेश सरकार लिखा है. उसके नीचे टेबल पर पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति रखी है, मूर्ति के आगे हनुमानजी की एक और मूर्ति भी है, जिनके आगे योगी रोजाना हाथ जोड़ते हैं.
वही बगल में भगवा तौलिए वाली योगी की खास कुर्सी भी रखी है, और टेबल पर सामने कई फाइलें रखी हैं, जिसे देखकर साफ समझ आता है, योगी आदित्यनाथ सुबह उठते ही पीएम मोदी की तरह काम में व्यस्त हो जाते हैं, आधी रात को भी फाइल देखकर किसी को फोन लगा देते हैं, लेकिन 23 नवंबर की सुबह जब डीजीपी और एसटीएफ चीफ दोनों एकसाथ उनके पास पहुंचे तो कईयों को ये लगा कि कुछ खास रिपोर्ट देने गए होंगे.
चुनाव के बीच अखिलेश यादव ने कई तरह के आरोप भी लगाए थे, एक तरफ ककरौली के SHO इंस्पेक्टर राजीव शर्मा की वो पिस्टल वाली तस्वीर थी, तो दूसरी तरफ कुंदरकी में प्रत्याशियों को वोट देने जाने से रोकने का आरोप, यहां तक कि चुनाव आयोग ने 7 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी कर दिया था, इसलिए मतगणना वाले दिन सुबह-सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पुलिस डिपार्टमेंट के दो हेड के दिग्गजों का पहुंचना, लोगों के मन में कई तरीके के सवाल पैदा कर रहा था.
हमने भी जब तस्वीर देखी तो इसे समझने के लिए योगी आदित्यनाथ के ट्विटर हैंडल से लेकर तमाम जगहों पर खबर सर्च की. जिसके बाद एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई.
योगी आदित्यनाथ और डीजीपी की मुलाकात न तो पुलिस प्रशासन पर उठ रहे सवाल को लेकर था, ना ही उपचुनाव के नतीजों को लेकर था, बल्कि इनकी मुलाकात थी पुलिस कलर को लेकर, ये क्या होता है, आपको बताएं उससे पहले योगी आदित्यनाथ का ये ट्वीट देखिए, वो लिखते हैं. आज 'पुलिस झंडा दिवस' के अवसर पर लखनऊ में पुलिस महानिदेशक, उ.प्र. श्री प्रशांत कुमार जी ने पुलिस कलर (झंडा) लगाया।
आप शायद ये जानकर हैरान हो जाएं कि उत्तर प्रदेश देश का पहला पुलिसबल है, जिसे 23 नवंबर के दिन ही सबसे पहले अपना ध्वज यानि झंडा मिला. उसी के बाद से इस दिन को यूपी पुलिस झंडा दिवस के रूप में मनाने लगी, ये भी एक इत्तेफाक ही है कि PAC को भी 23 नवंबर के दिन ही ध्वज मिला था. इसे लेकर साल 2021 में यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल लिखते हैं.
23 नवंबर 1952 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश पुलिस को पहला ध्वज प्रदान किया था. उसके बाद मुंबई पुलिस कमिश्नरेट को 1954, महाराष्ट्र पुलिस को 1961, जम्मू-कश्मीर पुलिस को 2003, तमिलनाडु पुलिस को 2009 और हिमाचल प्रदेश एवं गुजरात पुलिस को 2019 में ये सम्मान मिला.
इसी के साथ मुकुल गोयल पूर्व पीएम नेहरू की तस्वीर भी शेयर करते हैं, ऐसे में ये समझना भी जरूरी हो जाता है कि आखिर यूपी पुलिस का ध्वज है कैसा. और उसके मायने क्या हैं.
यूपी पुलिस का ध्वज लाल और नीले रंग का है. जो शक्ति और निष्ठा का प्रतीक है. इसका आकार 4 फीट लंबा और 3 फीट चौड़ा है.
जिसकी तस्वीरें तो हर कोई देखता है लेकिन इतिहास को नहीं समझते. पर ध्वज का महत्व तो हमारे देश में आदिकाल से है, महाभारतकाल में भी ध्वज पताका का अपना अलग महत्व था. और अब यूपी पुलिस की ध्वज पताका की तस्वीर हर कोई देख रहा है.