अहमदनगर रेलवे स्टेशन का नाम अब अहिल्यानगर, केंद्र की मंजूरी के बाद राज्य ने जारी किया आदेश

Amanat Ansari 12 Sep 2025 08:30: PM 2 Mins
अहमदनगर रेलवे स्टेशन का नाम अब अहिल्यानगर, केंद्र की मंजूरी के बाद राज्य ने जारी किया आदेश

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के गृह विभाग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी करते हुए अहमदनगर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर 'अहिल्यानगर रेलवे स्टेशन' कर दिया. यह कदम संयुक्त सचिव राजेश होलकर की ओर से उठाया गया, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय की 2 सितंबर 2025 को जारी अनापत्ति प्रमाणपत्र के बाद संभव हुआ. इस बदलाव का उद्देश्य स्थानीय इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देना है, खासकर पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर—जिनका जन्म जिले के तालाब जामखेड के चौंडी गांव में हुआ था—की स्मृति में.यह नाम परिवर्तन की प्रक्रिया लंबे समय से चली आ रही मांगों का परिणाम है. मई 2024 में अहिल्यादेवी की 300वीं जयंती समारोह के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जिले का नाम 'अहिल्यानगर' करने की घोषणा की थी.

इस मांग को विधायक राम शिंदे और गोपीचंद पडलकर ने जोरदार तरीके से उठाया, जबकि तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने विधानसभा में इसे स्वीकार करते हुए नगर निगम को प्रस्ताव पारित करने का निर्देश दिया. हालांकि, उस वक्त निगम में राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह प्रस्ताव अटक गया. बाद में प्रशासक शासन के दौरान सभागार में इसे मंजूरी मिली, और 8 अक्टूबर 2024 को राजस्व एवं वन विभाग ने शहर, तहसील तथा जिले का नाम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी.

राज्य स्तर पर नाम बदलाव हो जाने के बावजूद, केंद्र के अधीन आने वाले संस्थानों जैसे रेलवे स्टेशन में यह प्रक्रिया लंबित रही. अब केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के साथ राज्य गृह विभाग ने रेलवे स्टेशन पर भी लागू कर दिया. यह बदलाव रेल मंत्री अश्विणी वैष्णव की ओर से पहले की गई घोषणा से भी जुड़ा है, जो जिले के नाम परिवर्तन को रेलवे स्तर पर लागू करने का संकेत देता था. 

अहमदनगर का इतिहास समृद्ध है—1490 में अहमद निजाम शाह द्वारा स्थापित यह शहर निजाम, मुगल, पेशवा, होल्कर और ब्रिटिश शासनों का साक्षी रहा. लेकिन नाम परिवर्तन को लेकर विवाद भी पैदा हुए. शहर के पूर्व कुलपति डॉ. सरजेराव निमसे और अरशद शेख जैसे लोगों ने औरंगाबाद हाईकोर्ट की बेंच में चुनौती दी, जिसके जवाब में नासिक आयुक्त और नगर आयुक्त को नोटिस जारी हुए. याचिका पर सुनवाई लंबित है.

राजनीतिक रूप से, यह कदम लोकसभा-विधानसभा चुनावों के दौरान महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच श्रेय विवाद का केंद्र बना, साथ ही भाजपा में राधाकृष्ण विखे पाटील और राम शिंदे के बीच आंतरिक कलह को भी उजागर किया.दिलचस्प यह कि दशकों पहले, लगभग 30-40 वर्ष पूर्व, शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने एक रैली में शहर का नाम 'अंबिकानगर' करने की बात कही थी, लेकिन वह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा. बाद में अहिल्यानगर की मांग ने जोर पकड़ा और अंततः फलीभूत हुई. यह बदलाव न केवल ऐतिहासिक सम्मान का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय अस्मिता को मजबूत करने का प्रयास भी. 

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