नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पुणे शहर से एक ऐसी घटना उजागर हुई है, जो समाज के नैतिक मूल्यों पर गहरी चोट करती है. एक नवविवाहित महिला ने अपने ससुराल वालों पर क्रूरता और शोषण के संगीन इल्जाम ठोके हैं. खासकर, उसने अपने ससुर—जो एक रिटायर्ड वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं—पर यौन हिंसा और मानसिक आघात पहुंचाने का भयावह आरोप लगाया है.
शिकायत मिलते ही स्थानीय थाने ने आरोपी ससुर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली है. दिल दहला देने वाली बात यह है कि शिकायत में ससुर के अलावा पति और सास को भी सह-आरोपी बनाया गया है. पीड़िता के अनुसार, वैवाहिक जीवन की शुरुआत से ही उसे शारीरिक और भावनात्मक यातनाओं का सामना करना पड़ा.
पीड़िता ने पुलिस को बताया, ''हमारा विवाह करीब आधे वर्ष पूर्व संपन्न हुआ था. शादी के महज दो सप्ताह बाद ही मैं और मेरा पति हनीमून मनाने महाबलेश्वर रवाना हुए. लेकिन सच्चाई तो यह निकली कि हमारा दांपत्य जीवन शुरू से ही अभिशप्त था. पति ने कभी शारीरिक निकटता का प्रयास ही नहीं किया. जांच में पता चला कि वह शारीरिक रूप से असमर्थ हैं. जब मैंने इस संकट पर सास-ससुर से बात की, तो उनकी प्रतिक्रिया चौंकाने वाली थी.
उन्होंने इलाज, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या दत्तक ग्रहण जैसे व्यावहारिक सुझावों के बजाय, उन्होंने मुझे ससुर के साथ अंतरंग संबंध स्थापित करने के लिए उकसाया. सब कुछ 'परिवार में वंशज की निरंतरता' के नाम पर. महिला ने आगे खुलासा किया कि ससुर ने कई अवसरों पर बिना मेरी रजामंदी के निजी कमरे में सेंधमारी की. वह जबरन निकट आने की कोशिशें करते, और हर बार वंश वृद्धि तथा पारिवारिक सम्मान का ढोंग रचकर मुझे ब्लैकमेल करते.
यह सिलसिला लगातार चलता रहा, और सबसे दर्दनाक यह कि इन कृत्यों को पति तथा सास की खामोशी से हामी मिली हुई थी. पूरा ससुराल ने मिलीभगत से मुझे इस अमानवीय कार्य के लिए घेरा. पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है. आरोपी पूर्व एसीपी के परिवार की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है. यह घटना न केवल एक परिवार की विकृति को दर्शाती है, बल्कि समाज में महिलाओं की असुरक्षा को भी उजागर करती है.