पिछले कुछ दिनों की तस्वीरें का विश्लेषण आपको सोचने पर हैरान कर देगा! योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच का फर्क अब साफ हो चुका है! योगी कहते हैं मैं हिन्दू हूं, मैं मंदिर जाऊंगा, टीका लगाऊंगा, मैं टोपी क्यों पहूनंगा, मस्जिद क्यों जाऊंगा? हालांकि, उनके सियासी विरोधी अखिलेश यादव हिन्दू हैं, यादव कुल में पैदा हुए, लेकिन सियासत के लिए मस्जिद में बैठक करने पहुंच गए? सोशल मीडिया पर सवाल पूछा जा रहा है? अखिलेश यादव नमाज कब पढ़ेंगे? तो आज आपको कुछ ऐसी तस्वीरें दिखाएंगे. जहां आप सोच में पड़ जाएंगे?UP में मुस्लिम सियासत में कौन किसपर भारी है?

ये तस्वीर मस्जिद की है, यहां अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल के साथ पहुंचे! मस्जिद जाने से बड़ा सवाल है कि अपनी पत्नी डिंपल के साथ क्यों गए? राजनीतिक पंडित मानते हैं कि ये सियासी पैंतरा मुलायम सिंह से भी दो कदम आगे का है! मुसलमानों के बीच अखिलेश ये संदेश देने में कामयाब रहे कि मस्जिद जाएंगे, यानि मस्जिद पर बुलडोज़र सरकार बनने पर नहीं चलाएंगे, अखिलेश मस्जिद गए ताकि संदेश जाए योगी मुस्लिम विरोधी हैं. ये सब तब होने लगा जब कुंदरकी की सीट सपा के हाथ से चली गई!
RSS चीफ़ मोहनत भागवत भी सपा के मुस्लिम कार्ड को फेल करने में जुटे हैं, हरियाणा भवन में दो दिन पहले भागवत ने 50 मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बैठक की! बीजेपी मुसलमानों को जोड़ने में दिलचस्पी बढ़ा रही है! लेकिन योगी आदित्यनाथ फायर है! कुछ दिन पहले योगी ने जौनपुर का एक किस्सा सुनाया, जिसमें उपद्रवी मुसलमानों के लिए कह दिया लातों के भूत बातों से नहीं सुनते हैं!
UP की सियासत में सत्ता का संग्राम चल रहा है! कुर्सी पर बैठने के लिए हर कोई बदलने को तैयार है लेकिन योगी टिके हैं. वो किसी भी हाल में मुस्लिम वोटर्स की लालच में सॉफ्ट होने को तैयार नहीं है! अखिलेश यादव इसका पूरा फायदा उठा लेना चाहते हैं!
देश की सियासत में 11 साल से बीजेपी है, यूपी में 8 साल से योगी हैं, मुसलमानों के लिए सपा-बसपा की सरकार बेहतर मानी जाती है, बसपा का सियासी सिक्का धूल फांक रहा है, सपा इसका फायदा उठाकर योगी को मुस्लिम विरोध साबित करने, मुसलमानों का सगा होने और मस्जिद जाने का सिलसिला शुरू कर चुकी है! जैसे-जैसे चुनाव करीब आएगा, अखिलेश मस्जिद के करीब बार-बार जाएंगे, एजेंडा एक है, उन्हें विधानसभा चुनाव में वोट मिले!
अखिलेश यादव मस्जिद ही नहीं जाते, बल्कि हर मौके को भुनाते हैं, पहलगाम घटना के बाद शुभम द्विवेदी के घर जाने पर कहा था कि मैं वहां क्यों जाऊंगा, लेकिन जब मुख्तार अंसारी की मौत हुई तो अखिलेश सियासी काजू कतली खाने गाज़ीपुर पहुंच गए! अतीक पर सपा को दर्द होता रहा, अतीक की विचारधारा का समर्थन करने वालों को समाजवादी पार्टी में बढ़ावा मिल रहा है! संभल में इतना कड़वा सच बाहर आया, लेकिन वो बर्क के समर्थन में उतर गए! इसलिए PDA लेकर आए, ताकि खुलकर मुसलमानों की बात कर पाएं, हिन्दू उनसे नाराज़ ना हो इसलिए जाति का पाठ पढ़ाया जाए, बात अब जाति की पाठशाला तक पहुंच गई है!

ये अमेठी की तस्वीरें है, यहां अखिलेश यादव के कहने के बाद PDA पाठशाला खोला गया है! ये पहला स्कूल होगा जहां पिछड़ी जातियों, दलितों के बच्चे और मुसलमानों के बच्चे ही पढ़ सकते हैं, अगर किसी की जाति इसके अलग है तो क्या उसका एडमिशन नहीं होगा! हो सकता है कि ये PDA स्कूल सिर्फ सियासी जुमला हो लेकिन अब सियासत समाज में अपना ज़हर खोल रही है! समाज को क्या संदेश जाएगा?
राहुल गांधी और अखिलेश यादव मिलकर बीजेपी को घेरने की तैयारी में हैं! पिछड़ा वोट कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकता है तो मुसलमानों का एकतरफा वोट सपा को सत्ता दिला सकती है! इसलिए उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि ब्रजेश पाठक उन्हें नमाजवादी कहें या समाजवादी. सियासत धर्म की राह पर है, सत्ता का रंग धर्म तय करेगा, कोई मथुरा-काशी की तैयारी में है. कोई मस्जिद-मदरसे की पैरवी कर रहा है! ऐसा लगता है जनता को 2027 में धर्म के आधार पर ही CM चुनना होगा, क्योंकि मुद्दे सियासत से गायब हैं!