आगरा: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आगरा अपनी पार्टी के विवादित राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन से मुलाकात करने पहुंचे थे, जहां उन्होंन कहा कि हमें कोई प्रदर्शन नहीं करना, मैं सिर्फ अपनी पार्टी के नेता से मिलने आया हूं. लेकिन अखिलेश के आगरा दौरे ने उनकी राजनीति पर ही सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है. क्योंकि अखिलेश आगरा से एक तरफ तो कहते हैं कि लखनऊ और दिल्ली में लड़ाई चल रही है, तो दूसरी तरफ पिछड़ों को साधने के लिए सम्राट अशोक, फूलनदेवी और डॉ भीमराव अंबेडकर का नाम तो लेते हैं, लेकिन राणा सांगा के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं. ऐसे में ये सवाल तो उठने ही लगा है कि सपा की राजनीति किस दिशा में जा रही है?
राणा सांगा पर क्यों नहीं बोले अखिलेश?
आगरा में पहुंच कर अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इस दौरान वो सिर्फ मुस्लिम और पिछड़ों को ही साधते नजर आए, जिसके बारे में इसी बात से समझा जा सकता है कि, अखिलेश अपने बयान के दौरान बार-बार डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और संविधान का जिक्र करते हैं. दलितों को दिखाने की कोशिश करते हैं कि वो उनके कितने बड़े हितैषी हैं. तो वहीं अखिलेश यादव पिछड़ों को साधने के लिए सम्राट अशोक के साथ-साथ फूलनदेवी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि निषाद समाज की वीरांगना फूलनदेवी के हत्यारों का पॉडकास्ट हो रहा है. लेकिन इस दौरान अखिलेश राणा सांगा पर एक शब्द भी नहीं कहते. जब उनके सांसद की अशोभनीय टिप्पणी की बात आती है तो उल्टा आरोप केंद्र और सोशल मीडिया पर ही लगा देते हैं, अखिलेश कहते हैं कि पहले भी कई बयान संसद में दिये गए हैं जिन्हें बाद में रिकॉर्ड से हटाया गया, लेकिन इस बयान को सरकार ने सर्कुलेट करवाया. इस बात से साफ समझ आता है कि राणा सांगा के अपमान पर अखिलेश और उनके सांसद को ना तो कोई अफसोस है और ना ही शर्मिंदगी.
राजपूतों पर निशाना
अपने बयान में अखिलेश यादव ने बार-बार राजपूतों पर निशाना साधा, उन्होंने योगी आदित्यनाथ के लिए कहा कि सीएम के सलाहकार ने यूपी और राजस्थान से सीएम के स्वजीतय विधायकों को लखनऊ में इकट्ठा किया. एक बड़े होटल में उन्हें ठहराया गया. जहां आगरा में शक्तिप्रदर्शन की प्लानिंग की गई. इसके साथ ही अखिलेश ने ये भी आरोप लगया कि आगरा में हुए कार्यक्रम में जानबूझ कर राजपूतों को इकट्ठा कराया गया, आगरा में जानबूझ कर रामजीलाल सुमन के घर पर हमला किया गया. ये लोग जान भी ले सकते थे.
दिल्ली और लखनऊ में चल रही लड़ाई
अखिलेश यादव ने आगरा दौरे से ये भी संदेश देने की कोशिश की कि बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, दिल्ली इस समय लखनऊ से नाराज चल रही है. इस बात का मतलब था कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व योगी आदित्यनाथ से खुश नहीं है, दोनों तरफ खींचतान चल रही है. इसीलिए योगी आदित्यनाथ ने यूपी में राजपूतों को इकट्ठा करके शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश की है, योगी आदित्यनाथ दिखाना चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान तक के राजपूत योगी के साथ खड़े हैं.