अभिषेक चतुर्वेदी
केशव प्रसाद मौर्या ने अचानक से योगी आदित्यनाथ के सामने सियासी सरेंडर क्यों कर दिया. केशव के समर्थक भी ये देखकर चौंक गए जब 14 अगस्त की सुबह योगी के साथ हाथों में तख्ती लेकर केशव प्रसाद मौर्य लखनऊ की सड़कों पर उतर गए. अपने ट्विटर हैंडल पर जो केशव कभी योगी आदित्यनाथ को टैग नहीं करते थे, वो न सिर्फ योगी को टैग करने लगे, बल्कि माननीय मुख्यमंत्री के साथ कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ, ये भी लिखने लगे. जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर ये 360 डिग्री परिवर्तन केशव प्रसाद मौर्य के भीतर कैसे आया. सूत्र बताते हैं जब जुलाई के आखिर में हुई तमाम बैठकों के बाद भी जब केशव के तेवर नहीं बदले तो 11 अगस्त को सीधा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हें बुला लिया औऱ बैठक में तीन बड़ी बातें कही.
हाईकमान ने केशव को ये साफ-साफ संदेश दिया है कि आपसी मनमुटाव को पार्टी और सरकार से अलग रखिए, जैसे अपने निजी मामलों को इंसान ऑफिस के काम से अलग रखता है. ठीक वही थ्योरी यूपी में लागू होने वाली है और केशव इस बात को अच्छी तरह समझ गए हैं कि फुलपुर में अगर अपनी नाक बचानी है तो योगी का विरोध नहीं बल्कि योगी को मजबूत करना होगा. शायद इसीलिए तीन बड़ी तस्वीरें ट्वीट करते हैं.
पहली तस्वीर में CM योगी आदित्यनाथ के साथ दीवार पर टंगी एक तस्वीर देखते नजर आ रहे हैं. दूसरी तस्वीर में प्रतिमा के सामने तस्वीर क्लिक करवाते नजर आ रहे हैं. जबकि तीसरी तस्वीर में हाथों में तख्ती लेकर सीएम योगी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते नजर आ रहे हैं. ये तस्वीरें सियासी विरोध के सरेंडर के तौर पर इसलिए भी देखी जा रही है क्योंकि केशव के गढ़ में समाजवादी पार्टी ने इंद्रजीत सरोज जैसे बड़े नेता को यहां का प्रभारी बनाया है. जिनके कंधे पर उपचुनाव में सपा को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है.
कौन हैं इंद्रजीत सरोज
कौशांबी के रहने वाले इंद्रजीत सरोज की पहचान बड़े दलित नेता के रूप में है. साल 2018 में इन्होंने सपा ज्वाइन की, उससे पहले मायावती के साथ थे. बड़ी बात ये है कि योगी ने इस सीट की जिम्मेदारी कमान राकेश सचान और दयाशंकर सिंह को दी है और जब ये लिस्ट सामने आई तो इस बात को लेकर सवाल खड़े होने लगे थे कि अपने ही घर में होने वाले उपचुनाव से पहले सीएम योगी ने केशव को साइड कर दिया. ये बात भी दिल्ली तक पहुंची और आखिर में ऐसी सहमति बनी कि योगी की मीटिंग से गायब रहने वाले खुद योगी के साथ सड़कों पर तख्ती लेकर उतर गए, उनके साथ तस्वीर क्लिक करवाने लगे. जिसे देखकर सपा के उन नेताओं को बड़ी निराशा हाथ लगी, जो इस उम्मीद में थे कि किसी भी तरह योगी को हटाया जाए.
इस तस्वीर को देखने के बाद अखिलेश यादव ट्वीट कर लिखते हैं. और आपसी ‘खटपट’ का क्या… अंदरूनी बात दब गयी या दबा दी गयी… ख़त्म हुई रार-तकरार या झूठी मुस्कानों से ढकी है दरार… कई हैं सवाल???
पर पब्लिक डिमांड तो यही है कि इन तस्वीरों पर सियासी सवाल उठा रहे अखिलेश यादव को नवाब सिंह यादव पर उठ रहे सवालों का भी जवाब देना चाहिए. ये बताना चाहिए कि समाजवादी पार्टी से नाता रखने वाले आरोपी जो पकड़े जा रहे हैं, उन पर पार्टी क्या कार्रवाई कर रही है, ताकि उपचुनाव में जब जनता के बीच जाएं तो इस बात का जवाब दे पाएं कि जिसने गलत किया, उस पर पार्टी ने क्या एक्शन लिया.