ये कुर्सी अपर्णा यादव को कितनी मेहनत के बाद मिली है, ये वही जानती हैं, 32 महीने तक कभी विधानसभा चुनाव तो कभी लोकसभा चुनाव में टिकट का इंतजार करती रहीं, पर बीजेपी ने भाव नहीं दिया, और जब महिला आयोग के उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली तो अपर्णा इसे स्वीकारने को तैयार नहीं थीं, लेकिन केन्द्रीय मंत्री अमित शाह से फोन पर बात के बाद अपर्णा का दिल बदला, फिर सीएम योगी से मुलाकात में अपर्णा को एक ऐसा आश्वासन मिला कि वो खुलकर पॉलिटिक्स करने लगीं. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक के साथ ऑफिस पहुंचकर पदभार संभालती हैं और उसके तुरंत बाद अखिलेश यादव के बयान पर ऐसा पलटवार करती हैं कि वो पुलिस पर सवाल उठाने से पहले सौ बार सोचेंगे.
हालांकि इसके बाद एक सवाल के जवाब में अपर्णा यादव ये भी कहती हैं कि परिवार से तो बधाई मिलती रहती है, जब मैंने बीजेपी ज्वाइन किया था तब अखिलेशजी ने भी बधाई दी थी. जिससे साफ समझ आता है अपर्णा ने सियासत और परिवार दोनों में संतुलन साधना सीख लिया है, और अब पहले की तुलना में ज्यादा खुलकर मोदी-योगी की तारीफ करती हैं. योगी को भाई तो पहले से कहती रही हैं लेकिन पहली बार उन्होंने खुद को अर्जुन और पीएम मोदी को परशुराम कहा है.
अपर्णा के इन बयानों के बाद बीजेपी ने राहत की सांस ली है, क्योंकि 3 सितंबर को जब अपर्णा को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली थी, तो ख़बरें आई थी कि वो नाराज हैं और सपा में घर वापसी का मन बना रही हैं, चाचा शिवपाल से उन्होंने मुलाकात भी की थी. लेकिन बीजेपी इस बात को अच्छी तरह जानती है कि अपर्णा को जाने देने का मतलब बड़ा नुकसान हो सकता है.
पर बिना कोई पद दिए अपर्णा को पार्टी में रखना मुश्किल था, खुद सपा के कई नेता भी इसे लेकर सवाल उठाने लगे थे, इसीलिए बीजेपी ने उपचुनाव से पहले पद देकर एक बड़ा दांव चल दिया है, अपर्णा यादव ने महिलाओं के लिए जितने काम किए हैं, उस हिसाब से उनके लिए ये पद सटीक बैठता है, और हो सकता है योगी से मुलाकात में उन्हें आने वाले दिनों में कोई बड़ा पद देने का आश्वासन मिला हो, क्योंकि अपर्णा अगर मानी हैं तो कुछ तो कहानी होगी.