भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चर्चाओं से इतर जाकर हेमा मालिनी मथुरा से फिर उम्मीदवार बनाया है। हालांकि एक सर्वे के अनुसार, इस सीट से एक ब्राह्मण नेता को टिकट मिलने की चर्चा थी। वहीं समीकरण कहते है हेमा मालिनी का टिकट कटना चाहिए था, क्योंकि जयंत चौधरी अब बीजेपी के साथ हैं। ऐसे में जाट और ब्राह्मण मिलकर किसी को भी जीत दिला सकते हैं। समझना होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दखल ने कैसे सीट का समीकरण ही बदल दिया। इस बात को समझने के लिए मथुरा के आंकड़े को समझना होगा।
मथुरा बीजेपी के लिए अब पॉलिटकल प्वाइंट बनने वाला है, ईदगाह मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि विवाद चरम पर है। ड्रीम गर्ल बीजेपी के हिन्दुत्व के एजेंडे में भी फिट नहीं बैठती है, फिर उनके साथ बीजेपी का जाना सबको हैरान कर रहा है! जब बात हिन्दुत्व की आती है तो हेमा मालिनी या किसी विधायक को क्रेडिट नहीं जाता बल्कि योगी चौका मार देते है, इसलिए अब समझिए योगी ने पार्टी को क्यों कहा था हेमा मालिनी को ही मथुरा से उम्मीदवार बनाए!
सूत्र कहते हैं कि बीजेपी एक ब्राह्मण को टिकट देना चाहती थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उस नाम पर आपत्ति जता दी जिसके बाद हेमा मालिनी के साथ ही बीजेपी को जाना पड़ा, ख़बर यहां तक है कि योगी ने खुद मथुरा सीट जीत कर देना का वादा है किया है? कहा ये तक जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ मथुरा में किसी भी तीसरे व्यक्ति की दखलअंदाजी नहीं चाहते है! इसलिए हेमा मालिनी हर मामले में फिट बैठती हैं और उन्हें ही टिकट मिल गया! यूपी में योगी की रजामंदी के बिना किसी को टिकट नहीं मिला है।
मथुरा में बीजेपी के कई बड़े चेहरे हैं, जैसे बीजेपी के बड़े नेता श्रीकांत शर्मा भी लाइन में थे लेकिन आख़िरकार उन्हें भी टिकट नहीं मिला। जनता कहती है कि हेमा मालिनी बाहरी हैं, वो मथुरा कम आती है, और जब आती है तो कार्यकर्ताओं को ज़मीनी लेवल पर नहीं समझ पाती है। हेमा मालिनी एक ग्लैमर की दुनिया से आती है इसलिए कार्यकर्ताओं से उनका संवाद भी कमज़ोर दिखता है। सबसे बड़ी बात है कि उनकी उम्र 75 साल हो चुकी है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 साल की उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देना चाहते हैं।