लखनऊ: उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद मुख्य आरोपी छांगुर उर्फ जमालुद्दीन की सनसनीखेज गतिविधियों का खुलासा हुआ है. जांचकर्ताओं के अनुसार, छांगुर ने खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध एक संगठन का वरिष्ठ पदाधिकारी बताकर अधिकारियों से मुलाकात की और संगठन के लेटरहेड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया.
छांगुर बाबा को भारत प्रतिकार्थ सेवा संघ नामक संगठन का महासचिव (अवध) बनाया गया था, जिसे एक अन्य मुख्य आरोपी ईदुल इस्लाम चला रहा था. जांचकर्ताओं का कहना है कि इस संगठन का नाम जानबूझकर RSS से संबंधित होने का भ्रम पैदा करने के लिए चुना गया था. इस्लाम ने संगठन को विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए नागपुर, जो RSS का मुख्यालय है, में एक फर्जी केंद्र स्थापित किया था.
छांगुर और इस्लाम अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं से मिलने के दौरान कई प्रमुख RSS पदाधिकारियों के नामों का जिक्र करते थे ताकि उनकी RSS से संबद्धता की बात को विश्वसनीय बनाया जा सके. बता दें कि छांगुर को इस महीने की शुरुआत में बड़े पैमाने पर धार्मिक रूपांतरण रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वह विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की नाबालिग लड़कियों को निशाना बनाता था.
उत्तर प्रदेश की आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने अपनी FIR में कहा है कि छांगुर विदेशी फंडिंग की मदद से एक आतंकवादी प्रशिक्षण सुविधा स्थापित करने की साजिश रच रहा था. आरोप है कि उसे खाड़ी देशों और संभवतः पाकिस्तान सहित विदेशी स्रोतों से 500 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्राप्त हुई थी. प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की वित्तीय जांच कर रहा है.
ED ने पाया कि छांगुर के पास उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में 100 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियां हैं, जिनमें से ज्यादातर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करके बनाई गई हैं. इसके अलावा, छांगुर और उसके सहयोगियों से जुड़े 22 बैंक खातों की जांच में 60 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का सबूत मिला है. ED ने यह भी खुलासा किया कि छांगुर ने मुंबई में 'रनवाल ग्रीन्स' नामक एक कॉम्प्लेक्स को संदिग्ध सौदे के जरिए खरीदा था. जांच में पनामा स्थित एक कंपनी 'लोगोस मरीन' से उसके संबंधों के दस्तावेज भी सामने आए हैं.
विशेष कार्य बल (STF) की जांच में पता चला कि ईदुल इस्लाम स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिलकर गैरकानूनी रूप से ग्रामीण सामुदायिक जमीनों की खरीद में शामिल था. इस मामले ने उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल पैदा कर दी है. वहीं विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं कि इतने बड़े रैकेट का पर्दाफाश पहले क्यों नहीं हुआ. उधर CBI, ATS और ED इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं.