इन 5 वजहों से मायावती ने आकाश आनंद से छीनी कुर्सी, ‘करोड़ों के महल’ से आई बहुत बड़ी जानकारी…

Global Bharat 08 May 2024 12:46: PM 3 Mins
इन 5 वजहों से मायावती ने आकाश आनंद से छीनी कुर्सी, ‘करोड़ों के महल’ से आई बहुत बड़ी जानकारी…

10 दिसंबर 2023 को हुई बैठक में आकाश आनंद को जब मायावती ने नेशनल को-ऑर्डिनेटर का पद दिया था. तभी मायावती ने कहा था कि गलती की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए, वरना जैसे बाकी लोगों को हटाती हूं, वैसे ही आपको भी हटा दिया जाएगा. ये नहीं देखूंगी कि आपका और मेरा रिश्ता क्या है. तब आकाश को भी ये बात अच्छी लगी थी और बसपा कार्यकर्ता भी मायावती की तारीफ कर रहे थे, लेकिन ये वक्त इतनी जल्दी आएगा ये किसी को नहीं पता था.

5 महीने के भीतर हवा में उड़ रहे आकाश धरती पर धड़ाम से गिर जाएंगे ये किसने सोचा था. ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर आकाश आनंद पर मायावती ने एक्शन क्यों लिया. अगर आप ये सोच रहे हैं कि आकाश ने योगी सरकार की तुलना तालिबान से की थी और मोदी सरकार पर निशाना साधाइसलिए एक्शन हुआ तो आप पूरी तरह से सही नहीं हैं, बल्कि इसकी तीन और बड़ी वजहें हैं.

पहली वजह- पार्टी से जुड़े लोग बताते हैं कि आकाश आनंद जिस हिसाब का आक्रमक रूख अपना रहे थे, उसे जनता पसंद कर रही थी और हालत ये हो गई थी कि मायावती की रैलियों से ज्यादा आकाश आनंद की रैलियों की डिमांड थी, जो मायावती के करीबी नेताओं को पसंद नहीं आ रही थी.

दूसरी वजह- बयानवीर बनने के चक्कर में आकाश आनंद के ऊपर एफआईआर भी हो चुकी थी और मायावती ये नहीं चाहतीं कि उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी किसी तरह के केस-मुकदमों में फंसे. क्योंकि मुकदमों में उलझने के बाद इंसान पार्टी पर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पाता.

तीसरी वजह- आकाश आनंद लंदन से पढ़कर लौटे थे. अक्सर मायावती से बड़ी-बड़ी बातें करते थे. देश-समाज के मुद्दे पर खुलकर राय रखते थे, तो मायावती को लगा कि ये राजनीतिक तौर पर भी परिपक्व हो चुके हैं. लेकिन जिस तरह से आकाश अपने भाषणों में मर्यादाएं लांघ रहे थे, वो मायावती को पसंद नहीं आया.

चौथी वजह- बसपा को भले ही कई लोग यूपी में इस बार जीरो मानकर चल रहे हैं, लेकिन मायावती का ये फैसला पार्टी के उन कोर वोटर्स में जान ला देगा, जो आकाश को कुर्सी सौंपे जाने के बाद से लगातार इनके बयानों की शिकायत कर रहे थे.

पांचवीं वजह- आकाश आनंद की पढ़ाई अच्छी हुई है, पर हिंदुस्तान के अलग-अलग हिस्सों की राजनीतिक समझ जितनी गहरी होनी चाहिए, उतनी अभी नहीं है. शायद इसीलिए मायावती ने आकाश को हटाते हुए ये भी कहा है कि जब तक परिपक्वता नहीं आती, तब तक इन्हें जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी.

इसका एक मतलब ये भी है कि आकाश ही मायावती के उत्तराधिकारी हैं. आकाश के पिता पार्टी में जो जिम्मेदारी पहले निभा रहे थे, वो अब भी निभाते रहेंगे. यानी मायावती ने थोड़ी देर के लिए ही सही पर ये जरूर साफ कर दिया है कि वो अपना वारिस ही ढूंढ रही हैं, लेकिन सोनिया गांधी वाली गलती नहीं करना चाहती. जैसे सोनिया गांधी ने अचानक से राहुल गांधी को कमान देकर खुद को पीछे कर लिया और फिर राहुल इस कदर सियासत में फेल हुए कि अभी भी दिल्ली की सता की चाभी देशभर में घूमकर ढूंढ रहे हैं. लेकिन कांग्रेस को न तो चाभी मिल रही और जनता की नब्ज पकड़ पा रहे हैं.

लग्जरी लाइफ जीती हैं मायावती

68 साल की मायावती की गिनती उन नेताओं में होती हैं, जो खुद लग्जरी लाइफस्टाइल जीती हैं. कभी 200 करोड़ के महल में रहतीं थीं और अपने घर को महल की तरह बना रखा है, पर बात उस गरीब और दलित वर्ग की करती हैं, जिनमें से कइयों के पास आज भी दो वक्त के खाने की रोटी नहीं है, तो ये जो बैलेंस मायावती ने बनाया है, वही आकाश आनंद को बनाना होगा.

आकाश के सामने खुद को साबित करने की चुनौती

यूं ही आक्रमक होकर कुछ भी बोल देने और किसी की तारीफ कर देने से बात नहीं बनेगी. बल्कि अब आकाश आनंद मायावती के सामने खुद को साबित करना होगा कि मैं ही क्यों. हो सकता है कुछ दिन बाद आकाश नए रूप में रैलियों में दिखें और खुद को परिपक्व साबित करने की कोशिश करें. 

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