Pune cyber crime news: पुणे में 24 मई को रात के 10 बजे अंधेरे के बीच अचानक एक बिल्डिंग के नीचे करीब 150 पुलिसवाले पहुंचते हैं, जिसे देखते ही पूरे इलाके में टेंशन का माहौल बन जाता है कि क्या होने वाला है? इसी बिल्डिंग की 9वीं मंजिल पर पुलिस की टीम पहुंचती है, जब वो नीचे उतरते हैं तो उनके साथ 123 लोग होते हैं, जिनमें 12 महिलाएं और 111 पुरुष शामिल होते हैं. इन सभी के चेहरों पर नकाब या रूमाल लगे हुए थे, किसी का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, पुलिस के हाथ में लैपटॉप, मोबाइल, राउटर और नोटों के बंडल थे, हर कोई हैरान था कि आखिरकार ये चल क्या रहा है? इस कहानी को समझने के लिए आपको ये समझना होगा कि उस बिल्डिंग में क्या काम चल रहा था.
बिल्डिंग में था फर्जी कॉल सेंटर
दरअसल इस बिल्डिंग में एक फर्जी कॉल सेंटर चल रहा था, जिस पर पुलिस ने छापा मारा था, ये लोग पिछले एक साल से अमेरिकी नागरिकों के साथ साइबर धोखाधड़ी कर रहे थे, ये अमेरिका के लोगों को डिजिटल अरेस्ट करते थे, और उनसे पैसे ऐंठते थे, इस कॉल सेंटर को मैग्नाटेल बीपीएस एंड कंसल्टेंट्स एलएलपी नाम से चलाया जा रहा था, पुलिस को अपने मुखबिरों से इस फर्जी कॉल सेंटर की जानकारी मिली थी. जिसके बाद बड़े स्तर पर ये ऑपरेशन चलाया गया, और इन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया.
64 लैपटॉप, 41 फोन और 13 लाख कैश बरामद
इस ऑपरेशन को ACP गणेश इंगले ने लीड किया था, जिसमें कई सीनियर ऑफिसर भी शामिल थे, 10 घंटे तक चली इस छापेमारी में पुलिस ने 41 मोबाइल, 4 राउटर, 13.74 लाख कैश और 64 लैपटॉप बरामद किये हैं. पुलिस ने जो लैपटॉप जब्त किये हैं उनमें कई संदिग्ध एप्लिकेशन VPN सॉफ्टवेयर और लाखों की संख्या में अमेरिकी लोगों का डाटा मिला है. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 8 मास्टरमाइंड मिल कर इस ऑनलाइन ठगी के खेल को चलाते थे. जिन पर BNS की धारा 316 (2), 318 (4), 61 (1), 3 (5) और आईटी अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है. मुख्य आरोपियों में सरजीत सिंह शेखावत, अभिषेक पांडे, श्रीमय परेश शाह, लक्ष्मण शेखावत और आरोन क्रिश्चियन का नाम शामिल है।
हर दिन एक लाख का टारगेट
बताया जा रहा है कि इन लोगों ने हर दिन एक लाख अमेरिका लोगों का डाटा दिया जाता था, ये लोग अमेरिकी लोगों को उनके व्हाट्सएप पर कॉल करने के लिए वीपीएन सॉफ्टवेयर और कॉलर माइक का यूज करते थे. इस दौरान ये ठग खुद को अमेरिकी पुलिस ऑफिसर या बताकर धमकी देते थे, उन्हें धमकाते थे कि अपने अमेजन अकाउंट का इस्तेमाल ड्रग्स तस्करी के लिए करने की वजह से उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. बाद में उन्हें बचाने के लिए अमेजन गिफ्ट कार्ड खरीदने का ऑफर दिया जाता था, इस तरीके से ये पूरा रैकेट ठगी का धंधा चलाता था.