नई दिल्ली: दिल्ली के श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट-रिसर्च के एक पूर्व छात्र ने खुलासा किया है कि छेड़खानी आरोपी स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती, जो संस्थान के डायरेक्टर थे, ने महिला छात्राओं को निशाना बनाने और लुभाने का कौन सा तरीका अपनाया था. शहर के पॉश वसंत कुंज इलाके में स्थित इस संस्थान से निकाले गई पूर्व छात्रा ने कहा, उन्हें मुफ्त विदेश यात्राएं, आईफोन, चालक-सहित कारें और लैपटॉप की पेशकश की जाती थी."
मीडिया को दिए बयान में पूर्व छात्रा ने बताया कि छात्रों को धोखा देने की प्रक्रिया प्रवेश के समय ही शुरू हो जाती थी. उन्होंने कहा, "जैसे ही नए छात्र कॉलेज में प्रवेश करते हैं, चयन प्रक्रिया तुरंत शुरू हो जाती. निशाने वाली छात्राओं को पहले चिह्नित किया जाता, फिर उनसे संपर्क किया जाता और बेहतर सुविधाओं का लालच दिया जाता, जैसे ऊंचे अंक, विदेशी इंटर्नशिप और अच्छी नौकरी. जो प्रस्ताव स्वीकार कर लेतीं, उनके लिए सब कुछ सुगम हो जाता, लेकिन जो मना कर देतीं, उनके जीवन में हर दिन हालात बिगड़ते जाते."
उन्होंने खुलासा किया, ''इन छात्राओं को रात भर जागने के लिए मजबूर किया जाता, किसी से बात करने की इजाजत न दी जाती, 24/7 निगरानी रखी जाती, और कुछ को तो परेशान कर संस्थान से निकाल दिया जाता. यह उत्पीड़न उनके माता-पिता तक फैल जाता. जब उनसे पूछा गया कि निशाने वाली छात्राओं का चयन कैसे होता, तो उन्होंने मीडिया को बताया कि यह प्रक्रिया खुद चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ स्वामी पार्थसारथी द्वारा की जाती थी.
पूर्व छात्रा ने कहा, "स्वामी छात्रों से एक-एक कर बातचीत करते थे, उसके बाद उन्हें चिह्नित करते. वे लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग क्लास लेते थे. इसी दौरान वे महिला छात्राओं का चयन करते. कुछ महिला स्टाफ सदस्य फिर निशाने वाली छात्राओं से संपर्क करतीं और उन्हें आरोपी के ऑफिस या कमरे में मिलने के लिए कहतीं."
इन सब में एक और चौंकाने वाला खुलासा यह है कि इनमें से कुछ महिला स्टाफ पूर्व छात्राएं थीं, जिन्हें चैतन्यानंद सरस्वती ने निशाना बनाया था और वे समझौता कर चुकी थीं. उन्होंने कहा, "कुछ वर्तमान महिला स्टाफ पहले छात्राएं थीं, जिन्हें स्वामी ने वही चीजें ऑफर की थीं. उन्हें विदेश यात्राओं पर ले जाया गया और विदेशी इंटर्नशिप दी गई. और आज वे कर्मचारी हैं. वे वही महिला स्टाफ हैं जो स्वामी की मांगों के अनुसार महिला छात्राओं को मजबूर करती थीं."
2016 में भी उजागर हुआ था उत्पीड़न का मामला
जब चैतन्यानंद सरस्वती से जुड़े 2016 के एक उत्पीड़न मामले में छात्रा के पुलिस में शिकायत करने के बारे में पूछा गया, तो पूर्व छात्र ने कहा कि वह उनकी जूनियर थी और स्वामी ने उसी तरह उससे संपर्क किया था. उन्होंने दावा किया, उसे समझौता करने को कहा गया और बदले में मुफ्त विदेश यात्राएं, लैपटॉप और आईफोन गिफ्ट में मिलने, चालक-सहित कार से कहीं भी घूमने की पेशकश की गई. उन्होंने विदेश में प्लेसमेंट के लिए बेहतर ट्रेनिंग और असीमित शॉपिंग ट्रिप्स तक ऑफर किए." अपनी शिकायत में महिला छात्रा ने कहा कि जब वह 20-21 साल की थीं, चैतन्यानंद सरस्वती रात में उन्हें फोन करते, अश्लील टिप्पणियां करते और उन्हें 'बेबी' व 'स्वीट गर्ल' कहते.
उन्होंने कथित तौर पर उनका फोन छीन लिया और हॉस्टल में अलग-थलग कर दिया, अन्य छात्रों से बात करने पर डांटते. उन्हें मथुरा की दो दिनों की यात्रा पर उनके साथ जाने के लिए दबाव डाला गया. डर के मारे वह बिना बैग और दस्तावेजों के भाग गईं, लेकिन भागने के बाद भी चैतन्यानंद सरस्वती के सहयोगी उनके घर पहुंचे, जिसके बाद उनके पिता को हस्तक्षेप करना पड़ा. अंततः, उन्हें छोड़ दिया गया और संस्थान से निकाल दिया गया.
मूल दस्तावेज करता था जब्त
पूर्व छात्रा ने आगे खुलासा किया कि संस्थान प्रवेश के समय हर छात्र से मूल दस्तावेज मांगता और उन्हें रख लेता. उन्होंने आगे बताया, "स्वामी हर छात्रा के मूल दस्तावेज रखते थे. यह इसलिए किया जाता ताकि कोई उनके खिलाफ बोले या उनके कृत्यों का खुलासा करे तो डर का माहौल बना रहे. हमें डर था कि वे दस्तावेजों का दुरुपयोग कर सकते हैं या कभी लौटाएंगे ही नहीं."
पूर्व छात्रा ने कहा कि अभी तक उनके दस्तावेज संस्थान के पास ही हैं. उन्हें निकाले जाने पर भी वापस नहीं किए गए. उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी की नजरें संस्थान पर हमेशा टिकी रहतीं. कैंपस में कम से कम 170 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, हर क्लासरूम में दो-दो. कमरों के अलावा हॉस्टल में भी हर जगह कैमरे हैं. दावा किया जाता है कि चैतन्यानंद सरस्वती को इन सभी सीसीटीवी का एक्सेस था."