नई दिल्ली: क्या इंडी गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है? इसके कई सबूत हैं कि इंडी गठबंधन में एक खेमा नाराज़ है, ये नाराजगी UP से लेकर बिहार तक चल रही है! ख़बर पक्की है कि सीट को लेकर तेजस्वी यादव और राहुल गांधी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है...जबकि UP में अखिलेश यादव के सामने राहुल गांधी का प्रस्ताव दोस्ती में दरार की वजह बन सकता है! पहले बिहार समझाते हैं, फिर बाताते है UP में गठबंधन क्यों टूटने वाला है?
राहुल-तेजस्वी में फूट, मीडिया में कैद हुई कई तस्वीरें
तेजस्वी यादव को राहुल गांधी का पिछलग्गू कहा जा रहा है! कहा जा रहा है कि राहुल गांधी पूरी यात्रा के दौरान हावी रहे, तेजस्वी को वो जगह नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी! पिछले 20 सालों से बिहार में लालू यादव की कृपा से कांग्रेस चुनाव में टिक पाती है! इस यात्रा में कांग्रेस B टीम नहीं बल्कि A टीम बनने की कोशिश में दिखी, पूरी यात्रा को राहुल ने हाइजैक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राहुल किसी अपने नेता को CM बनते देखना चाहते हैं, यानि राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस-RJD की सरकार देख रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री किसी कांग्रेसी को चाहते हैं? तभी तो वो बिहार में CM का नाम खुलकर बोल नहीं पा रहे? लेकिन क्या ये बात हज़म होगी? देखिए...समुद्र में गहराई का पता करना, कांग्रेस का बिहार में खड़ा होना दोनों बातें एक जैसी है!
2020 में RJD ने कांग्रेस को 70 सीटें दी थीं जिसमें 19 सीटें ही कांग्रेस जीत पाई! ऐसा कहा गया था कि अगर RJD ने कांग्रेस को सिर्फ 40 सीटों पर लड़वाया होता तो शायद नतीजा कुछ और होता! ख़बर है कि कांग्रेस इस बार 100 सीटें चाहती है! जिस बात पर राहुल और तेजस्वी में बात नहीं बनी, इसलिए राहुल गांधी ने तेजस्वी को बतौर मुख्यमंत्री चेहरा ऐलान नहीं किया!
बिहार में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने RJD के बैनर पोस्टर कई जगहों पर फाड़ दिए, नतीजा RJD और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में ही झड़प हो गई! राहुल गांधी को तेजस्वी ने PM का चेहरा घोषित किया लेकिन उन्होंने तेजस्वी को CM का चेहरा घोषित नहीं किया? ये सियासत का वो अंदाज़ है जो कई लोग नहीं समझ पाते हैं! अब कांग्रेस की बिहार में इतनी बुरी हालत है लेकिन अकड़ कितनी है? इस बात से अखिलेश यादव भी डरे हैं! अखिलेश यादव के बेहद करीबी पत्रकार नाम न छापने पर दावा करते हैं!
यूपी में क्रांग्रेस 150 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है! लेकिन अखिलेश यादव 50 सीट से ज्यादा देने की स्थिति में नहीं है! इसलिए अखिलेश खुद मस्जिद जाते हैं, खुद मुस्लिम वोटरों को जुटाते हैं, अंदाजा है कि अगर आख़िरी वक्त में कांग्रेस-सपा का गठबंधन टूटा तो फिर अखिलेश अकेले ही योगी आदित्यनाथ का मुकाबला करेंगे.
अखिलेश यादव लोकसभा में खूब सीटें लेकर आए, उनका जनाधार बदला है, उनका राजनीति का तरीका बदला है, आज सपा के पास अपने नेता हैं, अखिलेश यादव ने अपनी लाइन के नेताओं को खड़ा कर लिया है, उनके एक इशारे पर PDA पाठशाला खुल जाती है! अखिलेश यादव विपक्ष में खास तौर से इंडिया गठबंधन में भी राहुल गांधी पर भारी पड़ गए हैं!
नतीजा वोटर अधिकार यात्रा के अंतिम दिन अखिलेश यादव को बुलाया गया! उस दिन विपक्ष का भौकाल भी बिहार में दिखा लेकिन जब बात कुर्सी की आएगी तो सियासी दोस्ती एक सेकंड में टूट जाती है...क्या अखिलेश राहुल भी अलग होंगे? क्या बिहार में RJD और कांग्रेस में बात नहीं बनेगी? और बनेगी तो राहुल गांधी मन से चुनाव नहीं लड़ेंगे? क्योंकि राहुल गांधी की आंखों में तेजस्वी और अखिलेश को CM बनाने का जिक्र नहीं दिखता है बल्कि कांग्रेस की खोई ज़मीन लौटाने का प्रयास दिखता है! बिना अखिलेश-तेजस्वी के कांग्रेस UP-बिहार में कुछ नहीं है....